पिछले छह महीने से बंद चल रहे स्कूलों को गुलजार करने की कोशिश केंद्र सरकार की तरफ से की गई है। इन स्कूलों में छात्रों की आवक के लिए सरकार की तरफ से विशेष गाइडलाइन बनाई है। केंद्र सरकार शुरुआती चरण में 21 सितंबर से 9वीं से 12वीं तक के बच्चों की कक्षाएं चालू करने की छूट दी जाएगी, लेकिन इसके लिए बहुत कड़े दिशानिर्देश भी जारी कर दिए हैं, जिनका पालन किए बिना स्कूल खोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
वैसे, यूपी में स्कूलों को खोलने और न खोलने पर फैसला अगले सप्ताह लिया जाएगा। आज माध्यमिक शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा ने स्पष्ट किया कि कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए सरकार अभी कुछ भी फैसला नहीं ले सकती है। वैसे, जहां पर भी स्कूल खुलेंगे वहां पर सबसे अहम भूमिका अभिभावकों की ही होगी, स्कूलों को उनसे लिखित सहमति लेने की रहेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से स्कूल खोलने के लिए जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी गई है। उसके नियमों के अनुसार जहां स्कूलों को हर कक्षा के लिए अलग-अलग समय निर्धारित करना होगा, वहीं शिक्षकों, छात्रों और स्कूल के अन्य स्टाफ के बीच कम से कम 6 फुट की दूरी बनाए रखने की भी व्यवस्था करनी होगी। इसके अलावा जमीन पर 6-6 फुट की दूरी पर मार्किंग की जाएगी।
यही नहीं, स्कूल परिसर में छात्रों के आपस में कॉपी-किताब या पेंसिल-पेन, वॉटर बोतल आदि चीजें शेयर करने की भी अनुमति किसी भी छात्र को नहीं दी जाएगी। शिक्षकों, छात्रों और अन्य स्टाफ को लगातार हाथ धोने, फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा। स्कूल प्रबंधन को इधर-उधर थूके जाने की भी निगरानी करानी होगी। स्कूलों में सुबह की होने वाली प्रार्थना सभा आयोजित नहीं की जाएगी।
स्कूलों को रखना होगा ये ध्यान
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एसओपी में स्कूलों को सलाह दी गई है कि बंद कमरे के बजाय कक्षाओं की व्यवस्था खुले में किया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा। स्कूल नहीं आने वाले छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षा जारी रखी जाएंगी। स्कूल के अंदर मौजूद कैंटीन को पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। रोजाना स्कूल खुलने से पहले पूरा परिसर, सभी कक्षाएं, प्रैक्टिकल लैब और बाथरूम सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन से अच्छी तरह से सेनिटाइज कराए जाएंगे।
यही नहीं, जहां पर क्वारंटीन सेंटर बनाए गए उन स्कूलों को पहले ही कई बार सेनिटाइज कराना होगा। प्रैक्टिकल लैब के अंदर छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा। दूरी बनाए रखने के लिए कम संख्या में बैच बनाए जाएंगे। साथ ही लैब के अंदर हर छात्र के लिए 4 वर्गमीटर का गोला खींचा जाएगा।
यही नहीं, विद्यालय में महज 50 फीसदी शिक्षक व गैर शिक्षक स्टाफ ही एक बार में बुलाने की अनुमति होगी। विद्यालयों में बॉयोमीट्रिक से लगने वाली हाजिरी का सिस्टम खत्म करना होगा। ऐसी जगह पर स्टूडेंट्स के लिए कोई अन्य व्यवस्था करनी होगी। जहां भी संभव हो आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराकर निगरानी कराने की की व्यवस्था करनी होगी। यदि स्कूल आने जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करा रहा है तो उसे भी हर रोज पहले सेनिटाइज कराना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी।
यही नहीं, विद्यालय आने वाले स्टॉफ और छात्रों की प्रबंधन को अपने यहां थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सीमीटर की व्यवस्था करनी ही होगी। इसके अलावा हाथों को सेनिटाइज भी कराना होगा। विद्यालय परिसर में कहीं पर भी डस्टबिन खुला नहीं रहना चाहिए। सफाईकर्मी रखने से पहले उसे सेनिटाइजेशन का तरीका अच्छी तरह से सिखाया जाना चाहिए।
ये बच्चे और स्टॉफ नहीं आएगा स्कूल
अगर कोई भी बच्चा या स्टॉफ क्वारंटीन जोन से आने वाला है तो वे नहीं बुलाए जाएंगे।
बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिला को भी स्कूलों से दूर ही रखा जाएगा।
थर्मल स्कैनिंग में किसी के पॉजिटिव होने का शक होने पर उसे तत्काल स्कूल को आइसोलेट करना होगा।
आइसोलेट करने के बाद स्वास्थ्य विभाग और अभिभावकों को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी।
पूरे परिसर के हर हिस्से को विसंक्रमित कराया जाए, नजदीकी अस्पताल से लगातार संपर्क में रहा जाए ताकि समय रहते कुछ हो तो सही किया जा सकें।
विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए लगातार काउंसलिंग भी कराई जाएगी।
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