Subscribe Now
Trending News

Blog Post

पिकनिक स्पॉट

काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास बाबा विश्वनाथ मन्दिर किसने बनवाया 

काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास बाबा विश्वनाथ मन्दिर किसने बनवाया

काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास बड़ा ही रोचक है आपको बता दे काशी विश्वनाथ मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जनपद में है वाराणसी को ही काशी कहा जाता है यह मन्दिर भगवान् शिव की 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और पूर्ण रूप से यह मन्दिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है आज हम आपको इस मन्दिर की समस्त पौराणिक कथाओ और इतिहास के बारे में बतायेंगे |

काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास और पौराणिक कथाये

प्रत्येक दिन हजारो श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन हेतु बनारस आते है आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बाबा विश्वनाथ मन्दिर की पौराणिक कथा बताएँगे और हम आपको इतिहास के पन्नो में जो जो जानकारी इस मंदिर के बारे में मिली है वह सब भी बताने का एक प्रयास करेंगे जिससे आपको भी थोडा आईडिया हो कि आखिर जहाँ आप जा रहे हो वहां का क्या इतिहास है क्या कथाये है |

सबसे पहले तो आप यह जान लो की यह मन्दिर एक ज्योतिर्लिंग है और यह वाराणसी शहर में है जो की माँ गंगा के किनारे पर है तो अब आप समझ ही गये होंगे की यहाँ का धार्मिक महत्त्व अत्यधिक है अब आइये सबसे पहले बाबा विश्वनाथ मन्दिर के बारे में प्रचलित पौराणिक कथा / किद्वंती को जान लेते है |

बाबा विश्वनाथ मन्दिर की पौराणिक कथा

काशी को सबसे पुराना नगर माना गया है और यह भगवान विष्णु भगवान शंकर और माँ पार्वती का प्रिय नगर है अब देखिये यहाँ ज्योतिर्लिंग भी है यह एक सप्तपुरी भी है और यहाँ मणिकर्णिका शक्तिपीठ भी है अगर हम पुराणों की माने तो यह नगरी सबसे पहले एक वैष्णव क्षेत्र थी मतलब भगवान विष्णु की प्रिय नगरी |

इसी काशी में विष्णु जी के आनंद के अश्रु भी गिरे थे जहाँ पे अश्रु गिरे थे वह स्थान बिन्दुसरोवर बन गया और बिंदुमाधव के नाम से वही पे विष्णु जी स्थापित हो गए | उधर भोलेनाथ को काशी इतनी पसंद आई की उन्होंने विष्णु जी से इसे अपने लिये मांग लिया और इसे अपना निवास स्थान बना लिया कहा जाता है की काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी हुई है , काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास आप पढ़ रहे है |

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शंकर और देवी पार्वती के विवाह के बाद शंकर जी तो कैलाश पे रहने लगे लेकिन माँ पार्वती अपने पिता जी के यहाँ रहती थी तो यहाँ माँ पार्वती को पसंद न था इसलिए उन्होंने भोलेनाथ से अपनी व्यथा बताई और निवेदन किया की भोलेनाथ उन्हें भी अपने साथ रखे भगवान शंकर ने पार्वती जी की इस बात को माना और उन्हें अपने साथ अपनी प्रिय नगरी काशी ले आये और दोनों एक साथ ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गये |

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार एक बार विष्णु जी और ब्रम्हा जी का आपस में मतभेद हो गया की दोनों में कौन खास है अब इस विवाद को सुलझाने के लिए शिवजी आये और उन्होंने एक प्रकाश स्तम्भ उत्पन्न किया और दोनों से बोले जाओ इस स्तम्भ का आदि और अंत पता करो जो पता कर लेगा वाही ज्यादा खास होगा अब क्या था विष्णुजी और ब्रम्हाजी निकल लिये उस विशाल प्रकाश स्तम्भ का पता लगाने युगों तक वे दोनों खोजते रहे |

और अंत में विष्णुजी ने अपनी हार स्वीकार कर ली परन्तु ब्रम्हा जी ने झूठ बोल दिया की उन्होंने प्रकाश स्तम्भ का सिरा देखा है इस बात पे शिवजी अत्यधिक क्रोधित हुए मतलब ब्रम्हा जी इस झूठ पे शिवजी को गुस्सा आ गया और उन्होंने ब्रम्हा जी को श्राप दे दिया की उनकी कभी पूजा नही की जाएगी यह प्रकाश स्तम्भ काशी में भी था |

जानिये काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास

बेशक काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास बहुत ही व्यापक और कष्टदायक है कष्टदायक इसलिए क्यूंकि इस ज्योतिर्लिंग मंदिर को कई बार तोडा गया मुहम्मद गौरी औरंग्जेब जैसे शासको ने काशी विश्वनाथ मन्दिर को तुडवाने में अहम् भूमिका निभाई थी | अब सबसे पहले इस बात की जानकारी कर लेते कि आखिर काशी विश्वनाथ मन्दिर का निर्माण कब हुआ था |

काशी विश्वनाथ मन्दिर का निर्माण कब हुआ

इस बात के कोई भी ठोस प्रमाण नहीं मिले है जिससे हम इस मन्दिर के निर्माण का सही वर्ष जान सके इस मंदिर का जो इतिहास है उसमे यह ११वी शताब्दी से जानकारी में आया है हालाँकि जो जानकारी है उसमे यह है की ११वी शताब्दी में इस पवित्र मंदिर का जीर्णोधार हुआ तो काशी विश्वनाथ मन्दिर का निर्माण कब हुआ इस बात के कोई पुख्ता तथ्य नहीं है , काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास में निर्माण का ज़िक्र भी आवश्यक था |

बाबा विश्वनाथ मन्दिर किसने बनवाया

यह प्रश्न भी सबके दिमाग में आता है की बाबा विश्वनाथ मन्दिर किसने बनवाया तो आपको बता दे की वर्तमान में जो बाबा विश्वनाथ का मंदिर आप देखते है उसका निर्माण सन 1780 में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था जो की इन्दोर की महारानी थी इसके अलावा जो ज्ञात इतिहास है उसके हिसाब से कई लोगो ने इस मन्दिर का जीर्णोधार कराया था जिसमे राजा हरिश्चंद्र , सम्राट विक्रमादित्य , राजा टोडरमल , पंडित नारायण भट्ट , महाराजा रणजीत सिंह प्रमुख थे |

आइये अब शुरू करते है काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास जो हमें ज्ञात है शुरुआत होती है सन 1194 से इस सन में मुहम्मद गौरी ने बाबा विश्वनाथ का मन्दिर तुडवा दिया था और इतिहास की माने तो जो मंदिर मुहम्मद गौरी ने तुडवाया था उसी का जीर्णोद्धार राजा हरिश्चन्द्र और सम्राट विक्रमादित्य ने करवाया था मतलब जानकारी के अनुसार राजा हरिश्चन्द्र और सम्राट विक्रमादित्य जिस मंदिर का जीर्णोधार किया उसी को मुहम्मद गौरी ने लूटा फिर तुडवा भी दिया |

अब फिर से इस मंदिर को बनवाया गया होगा किसके द्वारा यह ज्ञात नहीं है जो जानकारी है वह है सन 1447 की 1447 में महमूद शाह ने इसे तोड़ दिया था फिर सन 1585 राजा टोडरमल ने इसे पुनः बनवाया और इस कार्य में टोडरमल की सहायता की पण्डित नारायण भट्ट ने अब जो जानकारी है उसके हिसाब से सन 1632 में शाहजहाँ ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए सेना भेजी परन्तु हिन्दू लोगो ने इसका विरोध किया |

सन 1669 में शासक औरंगजेब ने भी इसे तोड़ने के लिए एक आदेश पारित किया था जो की आज भी कोलकत्ता की एशियाटिक लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा हुआ है यही नहीं औरंगजेब ने मंदिर तो तोडा ही साथ ही वही ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी |

अब सन 1780 में इन्दोर की महारानी अहिल्याबाई ने इस मंदिर का जीर्णोधार किया तो ये था काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास हम आज बाबा विश्वनाथ का भव्य मन्दिर देखते है उसके लिए कई शासको ने अपना योगदान दिया कई शासको ने इसे लूटने का तोड़ने का प्रयास किया था वे सफल भी हुए थे लेकिन किसी न किसी महापुरुष ने फिर से इस मंदिर को बनवाया |

दोस्तों देखा आपने काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास जिसमे इस मंदिर पर कई आक्रमण हुए फिर भी यह आस्था का प्रतीक ज्योतिर्लिंग हमारे सामने है अद्भुत है हमारा भारत देश और यहाँ की आस्था पोस्ट पसंद आई हो तो कमेन्ट करके अवश्य बताये |

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *