जब आप तैयारी करते-करते एकदम से निराश हो चुके हो, तो ऐसे समय में आप सिपाही से अफसर बने फिरोज आलम की कहानी पढ़ लेना। सिपाही से अफसर बनने यानी यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले फिरोज आलम की कहानी आपको जरूर प्ररेणा देगी। इस बार यूपीएससी की परीक्षा में अपने सपनों को पंख देने वाले यूपी के फिरोज आलम ने 645 रैंक पाई है।
दिल्ली पुलिस के इस जवान यह साबित कर दिया है कि अगर इंसान सपने देखे और सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करे तो ऊपर वाला भी साथ देता है। दिल्ली पुलिस के डिपार्टमेंट में कॉन्स्टेबल फिरोज आलम ने इस बार यूपीएससी के एग्जाम को पास करते हुए 645 वें स्थान हासिल किया है।
परीक्षा में बेहतर अंक हासिल करने वाले फिरोज आलम इस समय दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट में तैनात है। सफलता उन्हें आसानी से नहीं मिली है। इससे पहले वह पांच बार यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं, लेकिन असफल रहे है। पांच बार विफल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, आखिरकार छठी बार में उन्हें कामयाबी मिली।
मूलरूप से पिलखुवा कोतवाली अंतर्गत ग्राम आजमपुर दहपा निवासी फिरोज आलम ने 12वीं मारवाड़ इंटर कॉलेज और ग्रेजुएशन राणा डिग्री कॉलेज पिलखुवा से की। इसके बाद कोचिंग कर साल 2010 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। दिल्ली पुलिस में तैनाती के दौरान ही उनके मन में आईएएस और आईपीएस बनने का सफला पला। उन्होंने उसे आखिरकार पूरा भी किया। अब फिरोज रैंक के हिसाब से आईएएस अफसर नहीं बन पाएंगे, लेकिन वह आईआरस या फिर अन्य किसी राजपत्रित अधिकारी के पद पर आसीन होंगे।
जी हां फिरोज ने भी दिल्ली पुलिस मे नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की है। उसने 645 रैंक हासिल किया है। फिरोज ने बताया कि वह अपने अधिकारियों की कार्यशैली को देखकर इतना प्रभावित हुआ कि उसने यह सोच लिया कि उसे भी यूपीएससी परीक्षा पास करनी है और एक बड़ा अधिकारी बनकर समाज की सेवा करनी है। उसका कहना है कि इस काम में उसे दिल्ली पुलिस की तरफ से काफी सहयोग भी मिला।
पाताल लोक का करेक्टर भाया
फिरोज आलम के अफसर बनने के बाद इस समय महकमे में इस बात को लेकर चर्चा है कि वेब सीरीज पाताल लोक मे जिस सिपाही की कहानी दिखाई गई है, वह फिरोज पर ही आधारित है। दरअसल पाताल लोक में सिपाही यूपीएससी की तैयारी करता है। इस दौरान उसका प्री और मेन निकल जाता है और वह इंटरव्यू की तैयारी करता है तो उसके वरिष्ठ अधिकारियों के उस वक्त हाव-भाव बदल जाते हैं। हालांकि इसे लेकर फिरोज ने तो ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा है कि यह करेक्टर मुझे भी अच्छा लगता है।
10 साल पहले ज्वॉइन किया था दिल्ली पुलिस
मूल रूप यूपी के हापुड़ स्थित पिलखुआ निवासी फिरौज ने वर्ष-2010 में जून महीने मे दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था। उस वक्त फिरोज ने महज 12 वीं की पढ़ाई की थी। इसके बाद नौकरी के दौरान ही पत्राचार माध्यम से उसने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया और वर्ष-2014 से ही यूपीएससी की परीक्षा देने लगा। पहले दो साल तो उसका प्री भी नहीं निकल सका, लेकिन इसके बाद उसने लगातार चार बार मेन परीक्षा दिया। उसने अपने आखिरी चांस में यूपीएससी को क्वालिफाई किया है। उसके परिवार में छह भाई और चार बहनें हैं। भाई-बहनों में फिरोज सातवें नबर पर है।
सपना था आइएएस और आइपीएस बनना
फिरोज आलम का बचपन से ही सपना है कि वह आइएएस या आइपीएस बनकर देश की सेवा करें। इसलिए दिल्ली पुलिस में रहते हुए उन्होंने अपना सपना टूटने नहीं दिया। जितना समय मिलता वह उस समय में तैयारी करते। हालांकि, समय के अभाव के कारण उन्हें पांच बार नाकामी हासिल हुई, लेकिन लक्ष्य की ओर बढ़ते उनके कदमों ने आखिरकार मंजिल पा ही ली।
इस समय दिल्ली के शिवाजी नगर कॉलोनी में परिवार के साथ रह रहे फिरोज शुरू से ही बहुत ही जुझारू रहे हें। बेटे की कामयाबी पर पिता सहादत हुसैन, माता मुन्नी सहित अन्य सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। फिरोज के भाई सलमान आलम ने बताया कि फिरोज में 645 रैंक आई है। फिरोज के बड़े भाई जावेद आलम बीएसएफ में इंसपेक्टर हैं।
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