झारखंड के एक शादीशुदा जोड़ने ने परीक्षा के त्याग को लेकर मिसाल पेश की है। कोरोनाकाल जैसी इस मुसीबत की इस घड़ी में अपनी पत्नी गर्भवती पत्नी को बैठाकर 1300 किमी स्कूटर चलाकर ले गया ताकि पत्नी की परीक्षा न छूट जाएं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि ऐसा कौन-सा काम है, जिसे आप करना चाहो और वो पूरा ना हो सके।
झारखंड राज्य के गंटातोला गांव निवासी दशरथ और सोनी मांझी अपनी गाड़ी से चलकर परीक्षा देने के लिए ग्यालियर पहुंचें। यह दोनों 28 अगस्त को अपनी सवारी शुरू की और 30 अगस्त को 13 सौ किलोमीटर गाड़ी चलाकर मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचे। इस पूरी यात्रा में सोनी मांझी अपने पति के पीछे बैठी रहीं ताकि वो अपने डिप्लोमा के दूसरे साल की परीक्षा दे सकें। सबसे बड़ी बात यह है कि यात्रा के लिए पैसे ना होने की वजह से सोनी को अपने गहने गिरवी रखने पड़े।
दशरथ मांझी की पत्नी सोनी मांझी गर्भवती हैं। सात महीने से उनके गर्भ में बच्चा पल रहा है। दोनों अपने घर से एक रेनकोट के सहारे निकले। इस विपत्ति स्थिति में दशरथ मांझी उनके साथ में आने के बिल्कुल ही पक्ष में नहीं था, लेकिन कुछ ऐसे हालात बने कि उन्हें आना पड़ा। उनकी पत्नी सोनी मांझी अपना एक साल बर्बाद नहीं करना चाहती थीं। दशरथ मांझी ने बताया कि वो स्कूल ड्रॉपआउट हैं और सोनी ने अपना एक साल पूरा कर लिया है।
दशरथ कहते हैं कि वह अपनी पत्नी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनकी पत्नी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद में सोनी एक स्कूल में शिक्षक बन जाएंगी और दो महीने बाद हमारी जिंदगी में आने वाले नए शख्स के भविष्य में हम और सुधार ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस घड़ी अपनी पत्नी को आगे बढ़ाना चाहता हूं। 37 साल के दशरथ एक केटरिंग कंपनी में काम करते हैं। दशरथ ने बताया कि ट्रेन चल नहीं रही हैं और टैक्सी 25 से 30 हजार रुपये किराया ले रही है। ऐसे में हमने स्कूटी से यात्रा करना उचित समझा।
उन्होंने बताया कि उनके पास मुख्यमंत्री कार्यालय से कई कॉल्स आए थे। मध्य प्रदेश सरकार ने उनके झारखंड लौटने में मदद करने की बात रखी। राज्य सरकार उन दोनों के हवाई टिकट कराएगी और दिल्ली तक भेजेगी, जिसके बाद दिल्ली से झारखंड के गांव तक जाने के लिए ट्रांसपोर्ट का बेहतर तरीके से इंतजाम हो सकें। दशरथ ने बताया कि उनका स्कूटर रेलवे पार्सल के जरिए उन तक पहुंचाया जाएगा।
दशरथ ने गिरवी रखे जेवर
पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए दशरथ ने अपने जेवर को गिरवी रखा दिया था। दशरथ की मासिक आय मात्र नौ हजार रुपये है, इतनी कम आय होने के बाद भी दशरथ के इरादे बड़े हैं, जिसकी वजह से ही वो सोनी को परीक्षा दिलाने ग्वालियर ले आए। उन्होंने बताया कि हमारे पास में इतनी आय नहीं है कि हम होटल में रह सकें। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के लिए मैंने और सोनी ने अपने गहने गिरवी रखें। इसके बाद यात्रा पर निकले और उनका 2,000 रुपये का पेट्रोल भी लगा।
पहली रात दशरथ और सोनी एक तंबू में सोए लेकिन दूसरी दिन कमर में हो रहे दर्द को आराम देने के लिए लखनऊ एक्सप्रेस वे के पास एक बगीचे में दोनों ने रात गुजारी। अब दशरथ अपनी पत्नी के साथ में मदद के सहारे ग्वालियर में परीक्षा दिला रहा है। सोनी को यहां पर अभी सात परीक्षाएं और देनी हैं। ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने दशरथ और सोनी की देखभाल के लिए स्वास्थ्य और प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दे दिया है।
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