इस समय पूर्वोत्तर का राज्य असम एक भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा है, जिससे राज्य में भारी पैमाने पर नुकसान हुआ है। अब तक यहां पर दर्जनों लोगों की जान चली गई है। बाढ़ की वजह से वर्तमान में काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व का लगभग 85 फीसदी हिस्सा भी जलमग्न हो गया है।
अब तक इस बाढ़ की वजह से काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व में कुल 125 जानवरों को सुरक्षित बचाया जा चुका है, हालांकि इस दौरान अब तक कुल 86 जानवरों की मृत्यु भी हो गई है, जिसमें गैंडे, हिरन और जंगली सूअर भी शामिल हैं। कई विशेषज्ञ असम में आने वाली वार्षिक बाढ़ को काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व के अस्तित्त्व के लिये आवश्यक मानते हैं।
काज़ीरंगा के पारिस्थितिकी तंत्र में बाढ़ की भूमिका
असम पारंपरिक रूप से एक बाढ़ प्रवण क्षेत्र है और ब्रह्मपुत्र नदी तथा कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों के बीच स्थित काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व भी इसका अपवाद नहीं है। बता दें, काजीरंगा और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के लिये बाढ़ काफी महत्त्वपूर्ण है। यही नहीं, पारिस्थितिकी तंत्र एक नदी आधारित पारिस्थितिकी तंत्र है, न कि ठोस भू-भाग आधारित पारिस्थितिकी तंत्र, जिसके कारण यह पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता है।
काजीरंगा में बाढ़ की समस्या
काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में कार्यरत विशेषज्ञों के माने तो इस तरह की भयानक बाढ़ 10 वर्षों में एक बार आती थी। अब यह स्थिति हर दो साल में ही बन रही है। इससे इस क्षेत्र को व्यापक पैमाने का नुकसान का भी सामना करना पड़ता है। इसकी मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन और निर्वनीकरण जैसे कारकों के कारण इस क्षेत्र में बाढ़ तेजी से काजीरंगा के लिए विनाशकारी होती जा रही है।
काजीरंगा में वर्ष 2018 को छोड़कर, वर्ष 2016 से वर्ष 2020 के बीच आई सभी बाढ़ें विनाशकारी और भयानक प्रकृति की थीं। इनमें काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जलमग्न हो गया था। बता दें, काजीरंगा में आने वाली बाढ़ों के कारण सैकड़ों जानवरों की मृत्यु हो गई थी और हजारों जानवर इसकी वजह से हमेशा घायल हो जाते हैं। यही नहीं, पशु प्राकृतिक रूप से स्वयं को बाढ़ के अनुकूल ढाल लेते हैं। अब यहां पर जब से पानी एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाता है, तो जानवरों को कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में सुरक्षित स्थान की ओर जाना पड़ता है।
बता दें, पार्क से कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों पर जाना बहुत ही आसान था, लेकिन जानवरों को राष्ट्रीय राजमार्ग 37 (NH-37) को पार करना पड़ता है, जिसके कारण कई बार बहुत से जानवर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। बता दें, इस क्षेत्र में कुल 9 वन्यजीव गलियारे भी है, यहां पर कभी भी यातायात नहीं बाधित रहता है। किंतु वे सदैव भारी यातायात के कारण बंद रहते हैं।
नतीजतन, पार्क से बाहर निकलने वाले जानवरों की या तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेज रफ्तार वाहनों के कारण मृत्यु हो जाती है या फिर शिकारी उनकी भेद्यता का लाभ उठाकर उन्हें मार देते हैं।
हालाँकि बीते कुछ वर्षों में सतर्क निगरानी के कारण जानवरों की मृत्यु की संख्या में कमी आई है।
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