ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मेघालय में बिगुल बजाने वाले खासी शासक और स्वतंत्रता संग्राम सेना यू तिरोट सिंग सियाम (U Tirot Sing Syiem) की 185वीं पुण्यतिथि हाल ही में मनाई गई। अंग्रेजी शासन के खिलाफ इंकलाब करने वाले यू तिरोट सिंग सियाम न केवल मेघालय के बल्कि पूरे भातर के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। बता दें यू तिरोट सिंग सियाम एक खासी जनजाति प्रमुख और देश के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।
वे मेघालय में खासी पहाड़ियों के क्षेत्र नोंगखलाव के शासक थे। वर्ष 1829 में ब्रिटिश सरकार ने यू तिरोट सिंग सियाम से खासी पहाड़ियों में सड़क निर्माण के संबंध में अनुमति मांगी और इसके बदले में उन्हें क्षेत्र में मुक्त व्यापार जैसी कई सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया गया था। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने अपने कुछ भी वादे पूरे नहीं किये, जिसके परिणामस्वरूप यू तिरोट सिंग सियाम ने ब्रिटिश अधिकारियों को इस क्षेत्र से वापस चले जाने का आदेश दे दिया था।
सिंग सियाम की बातों पर ब्रिटिश अधिकारियों ने गौर नहीं किया, आखिर 4 अप्रैल, 1829 को यू तिरोट सिंग सियाम के नेतृत्त्व में खासी सेना ने ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला बोल दिया गया। इस हमले में दो ब्रिटिश अधिकारी मारे गए। ब्रिटिश सरकार ने तुरंत जवाबी करवाई की और यू तिरोट सिंग सियाम की सेना ब्रिटिश सेना की आधुनिक सैन्य क्षमता के समक्ष ज्यादा समय तक टिक नहीं सकी थी।
इस घटना के बावजूद यू तिरोट सिंग सियाम और उनके सैनिकों ने अपने हौसलों के आगे ब्रिटिश सरकार से मुकाबला किया। लगभग चार वर्ष तक ब्रिटिश सेना के साथ गुरिल्ला युद्ध जारी रखा। जनवरी 1833 में यू तिरोट सिंग सियाम को ब्रिटिश सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद सुनवाई के दौरान उन्हें ढाका (बांग्लादेश) की जेल भेज दिया गया, जहां 17 जुलाई, 1835 को उनकी मृत्यु हो गई।
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