भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णनन से एक बार पूछा गया कि आपको किस रूप में देखा जाए ‘शिक्षक’ के रूप में या फिर ‘राष्ट्रपति’ के रूप में। इस बात पर डॉक्टर सर्वपल्ली ने कहा कि हमें राष्ट्र एक शिक्षक के रूप में ही याद रखे तो अच्छा होगा। शिक्षक के रूप में बहुत महत्व रखने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को आज भी पूरा राष्ट्र याद कर रहा है। इस मौके पर गुरुओं की बात को जानने के लिए ‘हमारा ब्लैकबोर्ड फाउण्डेशन’ की तरफ से एक वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार के जरिए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर बात करने के लिए शिक्षा विभाग से जुड़े हुए अधिकारी और शिक्षक भी मौजूद रहें। ‘हमारा ब्लैकबोर्ड फाउण्डेशन’ की तरफ से ‘प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में आपदा प्रबंधन एवं नई शिक्षा नीति की सार्थकता’ पर परिचर्चा वेबिनार के जरिए की। वैसे भी, किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु का बहुत बड़ा महत्व होता है। गुरु पद का इतना बड़ा ओहदा है कि इसका जितना भी सम्मान किया जाए वह कम है। समाज को नई दिशा देने का काम गुरुजन ही करते हैं। बिन गुरु के जीवन में अंधेरा ही अंधेरा रहता है। समाज में दीपक की तरह अपने पद से हमेशा चमकने वाले है। ‘हमारा ब्लैकबोर्ड फाउण्डेशन’ में कई ऐसे शिक्षक मौजूद रहे जो कि समाज में एक उजाले की तरह चमक रहे हैं और अपने क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं।
‘हमारा ब्लैकबोर्ड फाउण्डेशन’ में नई शिक्षा नीति पर रखें विचार
कोरोना काल और नई शिक्षा नीति पर आज वेबिनार के जरिए अधिकारी और शिक्षक भी मौजूद रहे। शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सीतापुर जिले के महमूदाबाद ब्लाक के खण्ड शिक्षाधिकारी अजय विक्रम सिंह ने कहा कि शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर तरीके से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों के लिए उनके हिसाब से ही क्लासरूम बनाना होगा। हमारे शिक्षक उसी हिसाब से सिलेब्स की तैयारी करके जाए तो अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों को अपना दिमाग फैक्ट्री के रूप में बनाना होगा, उन्हें गोदाम के रूप में नहीं बनाना चाहिए। शिक्षा जगत में कैसे करके आगे बढ़ें इसके बारे में हमेशा सोचना चाहिए। हमें बच्चों के हिसाब से अपने को पढ़ाने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया की फोकस की चीजों के बारे में जानकारी होने के साथ ही लोकल पर भी हमारा फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें फिजीकली रूप से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अत्याधिक डिजीटलकरण के बारे सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें प्लानिंग के साथ में उतरना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी स्वास्थ्य, सचल पुस्तकालय, कृषि और क्राफ्ट सहित अन्य चीजों पर फोकस किया जाता था। आजादी के समय में भी शिक्षकों को हॉस्टल की सुविधा दी जानी चाहिए।
शिक्षा अनुसंधान विभाग के संभागीय निदेशक प्रमॉंश कुमार ने वेबिनार में नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तृत तरीके से बातचीत की। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार निरतंर काम का रही है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में बच्चों तक में शिक्षा को बढ़ाने पर विचार किया गया है। आखिर बच्चे तक शिक्षा व्यवस्था को पहुंचाने के लिए सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने पर हमारी सरकार काम कर रही है। 34 साल के बाद में शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मूल शिक्षा पर अधिक फोकस दे रही है और विज्ञान के साथ-साथ में अब मूल चीजों की तरफ से ले जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने बच्चों के विषय में गीता को शामिल किया है। उन्होंने 5+3+2+2 के बारे में विस्तार से बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति का ऊपर तक काम करना नहीं है बल्कि अंतिम मुहाने तक के व्यक्ति पर पहुंचना है। इस शिक्षा नीति में पंचायत से लेकर संसद, प्रधानमंत्री से लेकर छात्र तक और अभिभावक से शिक्षक तक को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि पांच चीजों को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है। अब यह जमाना ‘जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ का है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में हम पहुंचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि बेहतर से बेहतर किया जा सकें। उन्होंने कहा कि अभी ग्रामीण क्षेत्र में कुछ दिक्कतें है जिन्हें जल्द ही पूरा करना होगा। हम ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचने के लिए लगे हुए हैं। हम लोग बच्चों को ऐसा ही कुछ करने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व की सरकारों में बच्चों को लैपटॉप सहित अन्य चीजों को बांटा गया था।
राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित शिक्षक सुशील कुमार द्विवेदी ने भी नई शिक्षा नीति पर विस्तार तरीके से बातचीत की। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से लाई गई नई शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को लेकर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में हिंदी और अंग्रेजी का पूरा ध्यान रखा गया है। हिंदी और अंग्रेजी का कितना बड़ा दर्द होता है, इसके बारे में मुझसे ज्यादा कौन जान सकता है। उन्होंने बताया कि 12वीं तक की पढ़ाई करने के लिए हम लोग 20 किलोमीटर साईकिल से जाते थे। इंटर के बाद जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए गए तो दो साल अंग्रेजी भाषा को बेहतर तरीके से समझने में लग गया। उन्होंने कहा कि अब सरकार बच्चों के लिए बेहतर माहौल लेकर आने वाली है। नई शिक्षा नीति में पांचवीं तक के बच्चों के लिए बेहतर माहौल बनाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि पांचवीं तक में मातृ भाषा पर फोकस सरकार की तरफ दिया जाना बड़ी बात है। अब नई शिक्षा नीति में विज्ञान और प्रयोग पर बहुत जोर दिया गया है। यह बहुत ही अच्छा कार्यक्रम होगा। विज्ञान में प्रयोग करके पढ़ने के बारे में नई नीति में प्रयोग आधारित ज्ञान से जोड़ने के लिए कहा गया है।
कानपुर जिले में बाल विकास अधिकारी अनामिका सिंह ने वेबिनार में बच्चों के कुपोषण के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब बच्चे कुपोषण मुक्त होंगे, तो वह पढ़ाई भी बेहतर तरीके से करेंगे। सरकार की तरफ से कुपोषण मुक्त बनाने के लिए समय-समय पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को छोटी-छोटी चीजों में रुचि लाए ताकि वह बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकें। उन्होंने बताया कि हमारी तरफ से नवरात्र महीने में पहला कवऊरा बच्चों के नाम से चलाया गया था।
शिक्षा शास्त्री और समाजसेवी कानपुर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि हम लोग कार्यक्रम चलाकर कानपुर में लोगों को जागरुक करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग बेसहारा छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। इस लॉकडाउन में भी हम लोग बच्चों को पढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बच्चों को डिवाइस तक उपलब्ध कराई जा रही है ताकि बच्चे बेहतर तरीके से पढ़ सकें, उनकी पढ़ाई बाधित न हो। उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबी दुनिया से भी आगे बढ़कर बहुत कुछ सिखाया जा रहा है।
श्रावस्ती में पुरस्कार प्राप्त शिक्षक प्रेम वर्मा ने बताया कि वह किस तरह से बच्चों के हित में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम लोग अभ्युदय नाम से एक संस्था चला रहे हैं और ऑनलाइन के माध्यम से हम बच्चों को बहुत कुछ बताने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम शिक्षकों को भी मजबूती प्रदान करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी लॉकडाउन के दौरान हम लोगों ने शिक्षा क्षेत्र को लेकर बहुत कुछ काम किया है, जिसकी वजह से हम लोग अब पूरी तरह से बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए सक्षम है। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने बेहतर से बेहतर कटेंट बनाया है। इसके अलावा अन्य चीजों का प्रयोग किया जा रहा है ताकि बेहतर से बेहतर किया जा सकें।
सीतापुर में शिक्षक प्रमोद पाठक ने बताया कि कोविड-19 के दौरान हम लोगों ने किस तरह से बच्चों को पढ़ाई पूरी कराई। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के इस दौर में बच्चों तक में शिक्षा को आगे बढ़ाने का काम किया। इस दौरान हमारे शिक्षक साथियों में से किसी ने ऐप अपलोड किए, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ में बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। यही नहीं, कई साथी बच्चों के घर में भी पढ़ाने के लिए गए। अगर देखा जाए तो हम सबने बच्चों के हित में काम किया गया। उन्होंने बताया कि इस विषम परिस्थितियों में भी जब हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो फिर आगे उस दर्जें में आगे बढ़ाया गया है ताकि बच्चे बेहतर से बेहतर कर सकें। आगे से आगे करने की बात
सीतापुर में शिक्षक योगेंद्र पाण्डेय ने शिक्षा को अपना कर्तव्य बताया और कहा कि हमें बच्चे को एक दोस्त के रूप में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिनको पढ़ाने के लिए हमें सरकार की तरफ से वेतन मिलता है और जिनकी वजह से ही हम लोग बेहतर से बेहतर जीवन जी रहे हैं, उन्हें पढ़ाने में किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में परीक्षा होती है। इससे ज्यादा संकट क्या आएगा जब कोरोनाकाल में ही सब कुछ हो गया है। ऐसे समय में हम लोगों को अपनी पहचान बनाने की जरुरत है। बेसिक शिक्षा के साथी इस समय बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोई वाट्सअप, सोशल मीडिया और कोई बच्चों के घरों में जाकर जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने लॉकडाउन के बारे में विस्तार से बताया।
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।
उन्होंने कहा कि हमें बच्चों के दिल तक में उतरना होगा ताकि बेहतर से बेहतर किया जा सकें।
हाथरस से शिक्षक सुशील कुमार ने वेबिनार में अपने विचार रखें और उन्होंने बताया कि किस तरह से हम लोग इस कोरोनाकाल में भी पढ़ाकर बेहतर से बेहतर करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में समिति संस्थान है, इसके बाद भी गांवों के बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाया जा सकें।
शिक्षक राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि शहरी क्षेत्र की तुलना में गांवों के बच्चों के साथ में बहुत बड़ी समस्या है। ऐसे में हमें कुछ ऐसा कार्यक्रम करना होगा ताकि बच्चे अधिक से अधिक जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को आगे जोड़ने का कार्यक्रम किया जाना चाहिए।
शिक्षा जगत के इस खास कार्यक्रम में अयोध्या के सहायक अध्यापक अभिनव सिंह राजपूत, हाथरस जिले में कटेलिया ब्लाक के एआरबी रमेश चंद्र चौधरी, लखनऊ बीकेटी में शिक्षिका वंदना श्रीवास्तव ने इस वेबिनार में सहभागिता कराई। इस वेबिनार का संचालन शिक्षिका वंदना श्रीवास्तव ने ही किया।
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