Subscribe Now
Trending News

Blog Post

हमारा ब्लैकबोर्ड फाउण्डेशन

किराये के खेत में बच्चों के लिए सपने बो रही शीला 

किराये के खेत में बच्चों के लिए सपने बो रही शीला

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के शाहपुर बम्हेटा गांव में रहने वाली 30 वर्षीय शीला इन दिनों चर्चा में हैं। शीला एक महिला किसान हैं, जो किराए पर खेत लेकर उसमें सब्जी की खेती कर अपने साथ-साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। अपने इस जज्बे से वह पूरे गांव की महिलाओं के बीच लोकप्रिय होने के साथ-साथ प्रेरणास्रोत बनती जा रही हैं।

किसान से जमीन किराए पर लेकर सब्जियों की खेती की

मैनपुरी की रहने वाली शीला कुछ वर्ष पहले काम की तलाश में दिल्ली आ गईं। कुछ दिन मेहनत मजदूरी का काम किया उसके बाद गाजियाबाद चली आईं। पहले कुछ दिन गाजियाबाद में भी मजदूरी का काम किया, उसके बाद शीला ने अपना काम करने की ठानी और गांव के किसान से जमीन किराए पर लेकर सब्जियों की खेती करने लगी।

शीला बताती हैं, ‘शुरुआत में काम नया होने के कारण कुछ कठिनाई आई, लेकिन कुछ समय बाद सब्जियों की खेती करने लगी। सब्जी की खेती कैसे की जाए इन तमाम चीजों की जानकारी इक्ट्ठा की। अब मैं लौकी, मूली, अरबी, तरोई, कददू ,भिन्डी,टमाटर इन सभी सब्जियों को अपने खेतों में उगाती हूं।’

तेरह बीघा खेत किराए पर लेकर खेती कर रहीं हैं शीला

शीला ने बताया, ‘मजदूरी करके बचाए हुए पैसों से मैंने सबसे पहले एक बीघा खेत किराए पर लिया। एक बीघा खेत के लिए छह हजार रुपए देने पड़ते हैं। पहली बार उगाई सब्जी को मैंने गाजियाबाद मंडी ले जाकर बेचा था। मेरी कुल लागत पंद्रह हजार रुपए आई थी। जिसमें मुझे दस हजार रुपए का मुनाफा हुआ। अब मैं तेरह बीघा खेत किराए पर लेकर खेती कर रही हूं।’

बच्‍चों के लिए जो भी करना होगा करूंगी

शीला पढ़ी लिखी नहीं है उसके बाद भी पढ़ाई की कीमत जानती हैं। शीला अपने दोनों बच्चों को कान्वेंट स्कूल भेजती हैं। शीला का कहना है,’ मै चाहती हूं कि मेरे बच्चे सरकारी अफसर बने। उसके लिए मुझे जो भी करना होगा मैं करूंगी।’ इसी गांव के किसान सुधीर (40वर्ष) ने बताया,’ शीला की मेहनत और इनके काम करने की क्षमता का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। दिन में कम से कम 13 घंटे ये अपने खेतों में काम करती हैं। आस-पास की सभी महिलाएं शीला के काम की तारीफ करती हैं। शीला को सब्जियां बेचने के लिए कहीं जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती, खेतों से ही इनकी सब्जियां बिक जाती हैं। कुछ समय में ही शीला की तरक्की और काम के प्रति सर्मपण की भावना बाकी गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रही हैं।’

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *