यूपी सरकार चाहे तो गोमती की सफाई में मदद करने को तैयार हैं नदी पुत्र
15 साल से 3000 करोड़ गोमती सफाई के नाम पर बहाये गये फिर भी गोमती का पानी छूने लायक नहीं
नदी पुत्र व प्रसिद्ध समाजसेवी समाज शेखर ने किया गांव चलो सरकार अभियान का शुभारंभ
लखनऊ। गोमती का पानी आज नहाने लायक तो छोडिय़े छूने के लायक नहीं है। बीते 15 साल से 3000 करोड़ गोमती सफाई के नाम पर लग चुके है, गोमती की हालत और दयनीय हो गई। 27 नालों में एक भी नाला बंद नहीं हो पाया। कोई जरूरत नहीं है, रिवर फ्रंट के नाम पर घाट बना कर नदी का रास्ता रोकने की। गोमती सिर्फ 100 करोड़ में निर्मल हो सकती है, जरूरत है ईमानदारी से काम करने की। यह बात रविवार को इंदिरागांधी नक्षत्रशाला परिसर में आयोजित गांव चलो सरकार अभियान के शुभारंभ पर प्रसिद्ध समाजसेवी व गोमती सफाई अभियान से जुड़े ऋद्धि किशोर गौड़ ने कही।
उन्होंने गोमती को निर्मल करने के उपाय के बारे में बताया कि गोमती की ड्रेजिंग जरूरी है, सिल्ट के नीचे आज भी बालू है , बालू निकल आयी लोग लोग नहाने लगेंगे , जीव फिर पनपने लगेंगे। नालों के आउटलेट पर ही छोटे एसटीपी लग जाये, और शारदा नहर से गोमती को लिंक कर दिया जाये। फिर देखिये गोमती की निर्मल धारा फिर बहेगी।
पानी की सुव्यवस्था तो हर व्यक्ति की जिम्मेदारी
इससे पहले गांव चलो सरकार अभियान का शुभारंभ करते हुए नदी पुत्र व प्रसिद्ध समाजसेवी समाज शेखर ने कहा कि हमारी अंधी दौड़ ने हमे हमारे प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रति असंवेदन शील बना दिया है। अधिकतर छोटी छोटी जल संरचनाएं बिलुप्त हो रही है। ज्यादातर नालों में तब्दील हो गई है। झील , ताल जो नदियों को पोषित करती रही है उनका भी अस्तित्व नाला खोदकर समापन की ओर है।
प्रतापगढ़ में बकुलाही नदी को फिर से धरती पर जीवन देने वाले व अब इलाहाबाद में शंकरगढ़ में लुप्त हो चुकी ज्वाला नदी की निर्मल धारा को फिर से बहाने में जुटे समाज शेखर ने बताया कि आज चारो ओर जल संकट है। ऐसे में हमे सबसे पहले अपने आस पास के जल स्रोतों के प्रति जिम्मेदार व जबाबदेह होना होगा। बरसात में कोशिश करनी होगी की आस पास के प्राकृतिक जल स्रोतों झील, तालाब आदि में जल संरक्षित हो। नालों की चाल कम करना होगा। भूजल भरण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जिम्मेदार होना होगा। पानी की सुव्यवस्था हर व्यक्ति का कर्तव्य ही नहीं जिम्मेदारी भी है। उन्होंने बताया कि जब पानी होगा तभी तो नदियां साफ होंगी। तेजी से बहने का नाम नहीं है नदी। नदी वह है जो जिस तरफ से गुजरे तो सबकी प्यास पूरी करे वहीं ठहर कर।
कार्यक्रम में विश्व बैंक के यूपी के सेनीटेशन के सलाहकार विवेक गंगवार ने बताया कि पानी का स्वच्छ रहना आज के समय की सबसे बडी़ जरूरत है। 80 प्रतिशत बीमारियां गंदे पानी से होती हैं। देश में पानी गंदा होने का प्रमुख कारण लोगों का खुले में शौच जाना है। कार्यक्रम के दौरान गांव को समर्पित गांव चलो सरकार वेब पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया। गांव चलो अभियान के संयोजक समाज शेखर ने पोर्टल के साथ ही इसी विषय पर जल्द ही मासिक पत्रिका शुरू होने की जानकारी दी। कार्यक्रम में रायबरेली से समाजसेवी संतोष तिवारी ने भी गांव में पेयजल संकट को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। समारोह के अंत में गांव चलो सरकार अभियान से जुड़े कमलेश श्रीवास्तव ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में सोशल मीडिया से जुडे पंकज श्रीवास्तव दूरदर्शन से हिमांशु सोनकर समाचार भारती से मनीष गुप्ता वरिष्ठï पत्रकार जसवंत सोनकर व कई अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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