जीवन में किसी मुश्किल काम को करने के आदमी के सामने दो ही रास्ते होते हैं। या तो वह हार मान ले या फिर पूरा करने की ठान ले। अगर आप अपने पर आ जायें तो बडी बडी से मुश्किलों को हरा सकते हैं। जी हां कुछ ऐसे ही फौलादी इरादे सीतापुर के रामपुर मथुरा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिले हैं। विद्यालय में बाढ का पानी भरा होने के बावजूद न स्कूल बंद हुआ और न ही पढाई रुकी।
सीतापुर का सीतापुर विकास खंड रामपुर मथुरा यह प्राथमिक विद्यालय बाढ के पानी से लबालब भरा है। लेकिन जरा बच्चों का हौसला तो देखिये कि भरे हुए पानी उनके कदम नहीं रोक पा रहे हैं। कंधे पर बस्ता और चेहरे पर मुस्कान उनके बढे हुए हौसलों की खुद गवाही दे रहा है। इस विद्यालय में बच्चों में पढने की लगन और शिक्षकों में पढाने का जुनून देखते ही बन रहा है। स्कूल की कक्षाओं में पानी भरने के कारण वहां पढाना तो दूर खडे होना तक मुश्किल था ऐसे में स्कूल के शिक्षकों ने स्कूल के सामने एक होटल को ही स्कूल बना डाला। एक छप्पर में चल रहा होटल कुछ समय के लिए बच्चों का सचमुच का स्कूल बन गया।
छप्पर में चल रहे स्कूल का जायजा लेने जब ग्राम्य संदेश संवाददाता पहुंचा तो उसने देखा कि कितने व्यवस्थित तरीके से न सिर्फ कक्षायें चल रही हैं बल्कि स्कूल का आफिस का काम भी बखूबी चल रहा है। बच्चों को होमवर्क भी दिया जा रहा है। उन्हें बरसात में होने वाली बीमारियों से बचाव के बारे में भी शिक्षक क्लास में समझा रहे हैं। इस सरकारी स्कूल की प्रिसिंपल एकता मिश्रा कहती हैं कि उन्हें बच्चों की पढाई के साथ साथ उनके स्वास्थ्य की भी चिंता है इसलिए वह बाढ के पानी से भरे स्कूल में क्लास न लगवा कर बाढ के पानी से दूर इस होटल में क्लास लगवा रही हैं।
आम लोगों में सरकारी स्कूलों के प्रति अलग धारणा को यह स्कूल सच में तोडता नजर आता है। इस स्कूल में बच्चे पढना भी चाहते हैं और उससे बढकर यह बात कि बच्चों को शिक्षक हर हाल में पढाना भी चाहते हैं। सहायक अध्यापक पंकज मिश्र बताते हैं कि बाढ का पानी इस स्कूल में भरना एक स्थायी समस्या है। हम इस समस्या से अपने उपर के अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। उन्होंने हमें इस समस्या से जल्द जल्द मुक्त करने का आश्वासन भी दिया है। वो बताते हैं कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अगली बार हमें बाढ के पानी से हो रहे जलभराव से हमेश हमेशा के लिए छुटकारा मिल जायेगा। यह यकीन इसलिए भी है कि योगी सरकार प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प करने और उन्हें सुविधा सम्पन्न बनाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
सीतापुर के इस प्राथमिक विद्यालय में छ़ात्र अध्यापक सम्बन्ध देखते ही बनते हैं। स्कूल बैग कंधे पर टांगे बच्चे और मुश्किलों की बाढ को हरा कर बच्चों को पढाते अध्यापक सचमुच सराहना के पात्र हैं।
सीतापुर से नंदकिशोर नाग
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