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सोनवर्षा में फिर बहेगी ज्वाला, खोदाई में जुटा पूरा गांव 

सोनवर्षा में फिर बहेगी ज्वाला, खोदाई में जुटा पूरा गांव

समाज शेखर ने बकुलाही के बाद ज्‍वाला नदी को फिर से धरती पर लाने का उठाया बीड़ा
इलाहाबाद। बकुलाही नदी के बाद अब ज्‍वालामुखी नदी को फिर से जीवित करने की मुहिम शुरू हो चुकी है। बारा तहसील के शंकरगढ़ ब्लॉक के सोनवर्षा गांव के रामगढ धाम से निकली अति प्राचीन ज्वालामुखी नदी के पुनरोद्धार हेतु स्थानीय समाज ने कमर कस ली है। आज गांव के लोग मार्गदर्शक सामाजिक कार्यकर्ता डॉ समाज शेखर के नेतृत्‍व में खोदाई में जुट गये। ज्‍वालामुखी के आने से गाँव का जल स्तर तत्काल बेहतर होगा और आसपास सिचाई, पेयजल आदि में सुविधा होगी।
नदी मार्ग के चिन्हाकन के बाद ग्रामीणों ने समाज शेखर के निर्देशन में कार्य शुरू कर दिया है। । सभी इस कार्य को लेकर उत्साहित है। सब का कहना है कि जिधर से उचित हो उधर से ले जाया जाए किसी को कोई आपत्ति नहीं है। सभी इस कार्य में पूर्ण मनोबल के साथ लगे है। सब ने ठान लिया है कि प्रथम चरण का कार्य हम सब मिलकर श्रमदान व् जन सहयोग से पूर्ण करेंगे। आवश्यकतानुसार एक साझा कोष एकत्र कर जनसहयोग से मशीनों का भी प्रयोग किया जायेगा।
समय के साथ शिवलिंग स्‍थान बदल देता है। गंदी सी दिखने वाली बावड़ी पूरे गांव की प्‍यास बुझाती है। बावड़ी में पानी कभी कम नहीं होता। जगह जगह पर विशेष आकार प्रकार के पत्‍थर यहां आने जाने वालों को चकित कर देते हैं। इलाहाबाद से 50 किलोमीटर दूर रीवा रोड से करीब 7 किलोमीटर अंदर शंकरगढ़ ब्लाक में सोनवरसा गांव स्थित रामगढ़ धाम किसी पर्यटन स्‍थल से कम नहीं। पगडंडियों जैसे संकरे और ऊबड खाबड रास्‍तों से गुजरना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं। बुधवार को सोनवरसा गांव में ज्‍वाला नदी की खोज करने व उसे फिर से जीवित करने की मुहिम में जुटे प्रख्‍यात समाजसेवी समाज शेखर के प्रयासों को करीब से देखा तो लगा कि कुछ लोग दुनिया में ऐसे भी हैं जो बिना किसी ग्‍लैमर के चुपचाप अपने काम में जुटे हैं। यह समाज शेखर के भागीरथ प्रयासों का ही परिणाम है कि शंकरगढ के ग्रामीण ज्‍वाला नदी को फिर से धरती पर उतारने के लिए समाज शेखर के साथ खडे हैं। यह वही समाज शेखर हैं जिन्‍होंने प्रतापगढ में कुछ वर्षों पहले बकुलाही नदी को फिर से जीवित किया था। बकुलाही नदी प्रतापगढ के कई गांवों की जीवन रेखा भी है।
ज्‍वाला नदी का अस्तित्‍व सहेजे है रामगढ़ तालाब
सोनवरसा गांव का प्रमुख आकर्षण रामगढ़ तालाब है। एक ऐसा तालाब जो पथरीली जमीन पर है। समाज शेखर कहते हैं इसी तालाब के पास अदृश्य ज्वालामुखी नदी का उद्गम स्थल है जिसके पानी से तालाब कभी सूखा नहीं। हां, उपेक्षा से यह मैला जरूर हो गया है। तालाब में एक बावड़ी बनी है। एक बावड़ी तालाब से करीब सौ मीटर दूर खेत में बनी है। तालाब के साथ ही दोनों बावड़ी में हमेशा पानी रहता है। चाहे जितनी गर्मी पड़े, पर तालाब पूरी तरह कभी नहीं सूखता। ग्रामीणों की मानें तो पहले कई गांव के लोगों की प्यास इसी बावड़ी से बुझती थी। अभी भी सोनवरसा गांव के लोग इसी बावड़ी पर आश्रित हैं। गांव में जहां पांच सौ फीट खोदाई के बाद भी हैंडपंप से पानी नहीं निकलता, वहीं बावड़ी में मात्र एक हाथ नीचे ही लबालब पानी भरा रहता है। कहते हैं कि बावड़ी का पानी आसमान के रंग के साथ बदलता है। इतना ही नहीं गर्मी जितनी तेज पड़ती है, बावड़ी का पानी उतना ही ठंडा होता जाता है। जब सर्दी पड़ती है तो बावड़ी का पानी गर्म हो जाता है। ग्रामीणों की मानें तो बावड़ी का पानी उन्हें बीमारियों से भी दूर रखता है। समाज शेखर के अनुसार अदृश्य ज्वालामुखी नदी का यह उद्गम स्थल है और उसी का पानी तालाब व बावड़ियों में प्रवाहित होता रहता है। तालाब के कीचड़युक्त पानी में खिलखिलाते कमल के बडे बडे फूल प्राकृतिक सौन्‍दर्य का अदभुत नजारा पेश करते हैं।

अन्‍य देवी देवताओं के मंदिर हैं यहां

इलाहाबाद से 50 किलोमीटर दूर शंकरगढ़ ब्लाक में स्थित है सोनवरसा गांव। इसी गांव का एक मजरा है रामगढ़। शंकरगढ़ मुख्य मार्ग से करीब सात किलोमीटर उखड़ी सड़क पर चलने के बाद लोग इस स्थल तक पहुंचते हैं। ऊंचे-ऊंचे पत्थरों के टीलों के बीच यह स्थल किसी आश्रम सरीखा नजर आता है। यहां स्थापित शंकर जी का प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर के आसपास हनुमानजी, गणेश जी, पार्वती जी, रामजानकी मंदिर के साथ ही कई अन्य देवी देवताओं के मंदिर हैं। इस स्थल का संबंध रामायण व महाभारत काल से है। रामगढ़ के इस ऐतिहासिक स्थल पर पूस के तेरस, महाशिवरात्रि व मलमास में मेला लगता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

ग्रामीणों ने लिया ज्‍वाला नदी को धरती पर फिर से लाने का जिम्‍मा
समाज शेखर व स्‍थानीय निवासी राम भवन जी और इन्‍द्र भान सिंह जी बताते हैं कि तालाब की खोदाई होनी है, सफाई जरूरी है। यह काम लोगों के बस की बात नहीं है। तालाब को खोदने के लिए पत्थरों को निकालना पड़ेगा जिसके लिए जेसीबी आदि की मदद लेनी होगी। समाज शेखर जैसे समाजिक कार्यकर्ताओं ने ज्‍वाला नदी को फिर से जीवित करने व इसकी दशा बदलने का बीडा उठाया है। उन्‍होंने इसकी ऐतिहासिकता को देखते हुए यहां के विकास व बेहतरी के लिए गांव वालों को एकजुट किया है। इसके लिए एक कार्य समिति का गठन किया गया है। इसी क्रम में समाज शेखर के मार्गदर्शन में बुधवार को ग्रामीणों ने रामगढ उत्‍सव का आयोजन किया। इस मौके पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के अलावा कवि सम्‍मेलन भी हुआ। पूजा पाठ के अलावा विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। इस आयोजन के बहाने गांव वालों ने एकजुटता का परिचय दिया। यहां के बच्‍चों के उत्‍साह ने आयोजन में चार चांद लगा दिये।

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