लॉकडाउन लगने के बाद जब सभी हॉस्टल को खाली कराकर बच्चों को अपने-अपने घर भेज दिया गया, तो कानपुर आईआईटी में एक छात्र अंधेरे कमरे में ही पढ़ाई करता रहा। जी हां, किताबों से दूर रहने वाले बच्चों के लिए खबर बहुत ही प्रेरणादायक है, जिनका अक्सर पढ़ाई में मन नहीं लगता है और किताबों को हाथ में लेते ही नींद जा आती है। कानपुर आईआईटी में पढ़ने वाला एक छात्र कोरोना काल में लॉकडाउन में हॉस्टल बंद होने के बाद भी घर जाना मुनासिब नहीं समझा।
पढ़ाई के लिए वह छात्र डेढ़ महीने तक हॉस्टल में ही छिपा रहा। डेढ़ महीने तक बिस्कुट, दाल और चावल के सहारे ही पढ़ाई करते रहे। जी हां, लाइट, फैन तक बंद रखे, लेकिन आखिरकार धर लिए गए। कायदे से क्लास ली गई, जमकर फटकारा गया और किताबों के साथ ट्रेन से घर भिजवा दिया गया ताकि वहां पर भी उनकी पढ़ाई जारी रह सके।
आखिर कौन हैं ये छात्र
आईआईटी कानपुर एक स्टूडेंट एमटेक फर्स्ट ईयर में पढ़ता है। इनको पढ़ाई से इतना प्यार है कि यह एक क्लास आगे के प्रश्नों को हल कर लेते हैं। सरकार की तरफ से जब स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया गया, तब भी यह स्कूल में ही आते रहे। करीब डेढ़ महीने पहले कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए कानपुर का हॉस्टल को बंद कर दिया गया। हॉस्टल बंद होने की वजह से सभी छात्र अपने घरों को चले गए हैं, लेकिन यह अपने संस्थान को छोड़कर नहीं गए। हॉस्टल बंद होने की वजह से यह कमरे पर ही अकेले रहे और किताबों के ही बीच में अपनी जिंदगी को बिताना शुरू कर दिया।
यही नहीं, उन्होंने किताबों के पूरे संस्थान को गच्चा ददे दिया। उन्होंने अपने रूम की डुप्लीकेट चाभी बनवाई और रूम में ताला लगाया और गार्ड के पास जाकर अन्य छात्रों की तरह चाबी जमा कर दी। जब वह मेन गेट से सामान लेकर बाहर निकले और पीछे के गेट से हॉस्टल के अंदर फिर से घुसे और दरवाजा खोलने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए उसने कुंडी को तोड़ दिया था। कुंडी टूटी होने से उसका काम आसान हो गया। कमरे के बाहर से लगता था कि ताला लगा हुआ है, लेकिन स्टूडेंट जब चाहता ट्रिक से दरवाजा खोल लेता। वह बहुत ही आसानी से चोरी छिपे आता और उसे कोई आसानी भी नहीं होती।
कमरे में कभी नहीं जलाता था लाइट और न ही फैन
आप इस गर्मी में एक बार सोचकर भी देखिए कि कैसे करके बिना लाइट के रह सकते हैं, लेकिन पढ़ाई के जुनून में यह छात्र एक दो दिन नहीं बल्कि डेढ़ महीने तक लाइट और बिना फैन के ही रहे। उन्होंने इसी हॉस्टल में अपनी जिंदगी को ऐसे ही गुजारा। किसी को जानकारी न हो इसके लिए उन्होंने टॉर्च के सहारे पढ़ाई। वह बेड के नीचे घुस जाते और रोशनी में ही पढ़ाई करते थे। डेढ़ महीने उन्होंने बस बिस्कुट और स्नैक्स खाकर ही बिता दिए।
खाने के लिए उन्होंने इंडक्शन का इंतजाम कर रखा था ताकि कभी-कभी चावल दाल बना सके। दो, तीन दिन में एक बार वो रात में कमरे से बाहर निकलता और पिछले ही गेट से बाहर और अंदर हो जाता है। बाजार से खाने पीने का सामान खरीदने के बाद फिर उसी रास्ते वापस हो जाता। कोई आवाज न सुन ले, इसलिए उन्होंने अपने मोबाइल को 24 घंटे साइलेंट पर ही रखा। जब कभी वो बाहर निकलता तो अपने दोस्तों और घर वालों से बात करता था।
आंधी से पकड़ी गई चोरी
पढ़ाई के लिए हॉस्टल के ही कमरे में रह रहा छात्र एक दिन गलती कर बैठा और रात में जोर की आंधी में उनकी कुंडी टूट गई। हवा का झोखा न झेल पाने के कारण दरवाजा खुल गया, लेकिन ठंडी में उनकी आंखे नहीं खुल पाई और रात में ड्यूटी करने वाले गार्ड ने इन्हें पकड़ लिया। रात में ड्यूटी पर निकले गार्ड ने दरवाजा खुला देखा तो अंदर घुस गया। जब उन्होंने कमरे की लाइट ऑन की तो एक देखा एक छात्र बेड पर ही पड़ा हुआ है।
उन्होंने इसकी जानकारी तत्काल में वॉर्डन को दी और फिर बात डायरेक्टर तक पहुंचीं। इसके लिए अगले आईआईटी में अधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई और छात्र को जमकर डांट मिली। जब छात्र से पूछा गया कि हॉस्टल को आखिर क्यों नहीं छोड़ा, तो छात्र का जवाब सुनकर सबको दया आ गई। छात्र ने बताया कि वह पढ़ने के लिए घर नहीं गया। इतनी किताबें लादकर ले जाना पॉसिबिल नहीं था। इसलिए यही पर ही रहकर पढ़ने का फैसला किया।
अब उनका मेडिकल चेकअप कराकर आईआईटी समिति ने उन्हें घर फिर से भेज दिया है। छात्र की हुई जांच में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। छात्र को सारी किताबों के साथ में ट्रेन का टिकट करवाकर फिर से गुजरात भेज दिया गया है। हालांकि, आईआईटी संस्थाने एमटेक के छात्र का नाम उजागर नहीं किया है। वैसे, इस छात्र की हकीकत किसी कहानी से कम नहीं है और स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से पढ़ाई को तलाक दे चुके छात्रों को कुछ सीख लेनी चाहिए।
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