लखनऊ । महिलाएं अब पंच परमेश्वर की भूमिका में होंगी। घरेलू हिंसा व अन्य मामलों के बारे में अब गांव की महिलाएं खुद ही फैसला सुनाएंगी। महिला एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इसके लिए प्रदेश के सभी गांवों में महिला अदालत का गठन करने जा रहा है। घरेलू हिंसा व आपसी विवाद के मामलों में यह अदालत दोनों पक्षों को परस्पर बैठाकर अपना फैसला सुनाएगी। इसे कैबिनेट में भी रखने की तैयारी की जा रही है।
सभी जिलों में होगा इस योजना का विस्तार
महिला सशक्तीकरण की दिशा में ऐसी अदालतों के गठन की रूपरेखा तैयार की गई है। महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि इसे महिला समाख्या से जोड़ा जाएगा। गांवों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा। योजना को मजबूती देने के लिए महिला समाख्या का सभी जिलों में विस्तार किया जाएगा। गौरतलब है कि अभी 19 जिलों के 78 ब्लाक के 5923 गांवों में महिला समाख्या क्रियाशील है। बजट में महिला समाख्या के लिए दस करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया है।
गांव की बुजुर्ग महिलाओं के साथ किशोरियों की भी रहेगी सक्रिय भागीदारी
डॉ.जोशी ने बताया कि महिला अदालतों में गांव की बुजुर्ग महिलाओं के साथ किशोरियों की भी सक्रिय भागीदारी होगी। समाख्या से लगभग बीस हजार किशोरियां संगठन के रूप में संबद्ध हैं। इसके अलावा एक लाख 20 हजार महिलाओं को संघ के रूप में भी जोड़ा गया है। इसमें पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा व अन्य मामलों पर विचार किया जाएगा। यदि छोटे-मोटे मामलों का निस्तारण गांव में ही आपसी सहमति से हो जाएगा तो सामुदायिक भावना को और बढ़ावा दिया जा सकता है।
आयोजित की जायेंगी महिलाओं की बाइक रैलियां
सामुदायिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, जेंडर व कानून के प्रति इन अदालतों के जरिए जागरूकता लाई जाएगी। डॉ. जोशी ने बताया कि महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में महिलाओं की बाइक रैलियां कई और जिलों में भी आयोजित की जाएंगी। राज्य सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई योजना के लिए भी फंड बढ़ाया है।
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