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डॉ. कलाम: जिन्होंने बच्चों के बीच में समर्पित किया पूरा जीवन 

डॉ. कलाम: जिन्होंने बच्चों के बीच में समर्पित किया पूरा जीवन

भारत में ‘मिसाइल मैन’ के नाम से लोकप्रिय रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 2015 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। शिलांग में भाषण के दौरान उन्हें अचानक दिक्कत हुई थी, उन्हें अस्पताल में डॉक्टरों ने मृतक घोषित कर दिया था। दुनिया को अलविदा कहने वाले इस महान वैज्ञानिक के बारे में जितना कुछ भी बताया जाए वह कम है। देश के 11वें राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम का बहुत ही साधारण परिवार में जन्म हुआ था।

बेहत ही साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे और जमीन और जड़ों से जुड़े रहकर उन्होंने ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। डॉ. कलाम सभी वर्गों और विशेषकर युवाओं के बीच में प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं। डॉ. कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष रहते हुए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जन के लिए खोल दिए जहां बच्चे उनके विशेष अतिथि होते थे। जनता के बीच में आखिरी क्षणों तक वह हरे। आखिर किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि जब वह बच्चों को लेक्चर देते हुए ही दुनिया को अलविदा कह देंगे।

लेक्चर देते हुए अचानक छोड़ गए दुनिया

आज से 5 साल पहले 27 जुलाई को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। वह यहां पर विज्ञान और प्रबंधन से जुड़े हुए बच्चों को लेक्चर देने के लिए आए थे। कलाम ने अपने आखिरी कुछ घंटे ऐसे बिताए जो यादगार है, उनकी आखिरी इच्छा, उनके आखिरी शब्द, सब हमें बताते हैं कि वो देश के लिए कितना सोचते थे। ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके।

कुछ ऐसी रही जिंदगी

रामेश्वर में एक मछुआरे के बेटे एवुल पाकिर जैनुलाबद्दीन अब्दुल कलाम ने संघर्ष करते हुए राष्ट्रपति तक का मुकाम हासिल किया था। 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था। उन्हें एक ऐसी हस्ती के रूप में देखा गया जो कुछ ही महीनों पहले गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के घावों को कुछ हद तक भरने में मदद कर सकते थे। उनका अपना अनोखा हेयर स्टाइल था। आम आदमी के बीच में हमेशा ही रहने वाले डॉ. कलाम देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य योगदान देकर देश सेवा की। वह 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे।
वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। अपनी विशेष योग्यता रखने वाले डॉक्टर कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और पीएम इंद्र गुजराल के समय में 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। यह पुरस्कार पाने वालों में जिन्हें यह मुकाम हासिल हुआ था, उनमें सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था।

इन्होंने दिया था राष्ट्रपति बनाने का सुझाव

देश को मिसाइल मैन राष्ट्रपति के रूप में जेएनयू के प्रोफेसर रहे प्रो. धीरेंद्र शर्मा की सलाह पर मिले थे। उन्होंने 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया था। प्रो. धीरेंद्र जितने करीब डॉ. कलाम के थे, उतने ही करीब अटल बिहारी वाजपेयी के भी थे। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ से रिटायर होने के बाद वर्ष 2001 में डॉ कलाम दून आ गए थे। उन्होंने बताया कि कलाम को बताया कि उन्होंने देश के नए राष्ट्रपति के लिए उनका नाम प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सुझाया है। इसे संयोग कहें या फिर कुछ और राष्ट्रपति के रूप में 2002 में उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया। 10 जून 2002 को एपी जे अब्दुल कलाम के पास प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी का फोन आता है और वो कहते हैं कि देश को आप जैसे राष्ट्रपति की जरूरत है।

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