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स्कूल में नाना और बाबा सुनायेंगे कहानियां 

स्कूल में नाना और बाबा सुनायेंगे कहानियां

सरकारी स्कूल का नाम सामने आते ही एक ऐसे स्कूल की तस्वीर सामने आती है जिसकी हालत बहुत बेहतर नहीं कही जा सकती। बेतरतीब व टूटा फर्नीचर, गंदे टायलेट और स्कूल से गायब टीचर कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आती है। मगर लखनऊ के कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने इस तस्वीर को बदलने की जो योजना बनाई है वह निश्चित रूप से सराहनीय है। जनता से विद्यादान, आरोग्यदान और वस्तुदान से स्कूलों की तस्वीर बदलने जा रही है। लखनऊ के 35 स्कूल शुरूआती दौर में चिन्हित किए गए हैं जहां पर स्कूलों के पूरे सौन्दर्यीकरण के साथ स्मार्ट क्लास की शुरूआती होने जा रही है।

देश के किसी कोने पर बैठे योग्य शिक्षक बच्चों को उनके विषय का ज्ञान देंगे और बच्चे अपनी क्लास में इसको सुनेंगे।आम जनमानस को इस अभियान से जोडऩे के लिए मुकेश मेश्राम ने घर में रह रहे उन लोगों ने चिन्हित किया जो अपनी ऊर्जा का सही सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने घर में रह रहे नाना-नानी, बाबा-दादी और गृहस्थ महिलाओं से अनुरोध किया है कि वह अपने निकट के स्कूल में जाएं और जितना समय दे सकते हों बच्चों को दें। उन्हें इतिहास की, पंचतंत्र की और महापुरूषों की कहानियां सुनाएं। ऐसा करने से उनका समय भी व्यतीत होगा और बच्चों को अपने गौरवशाली इतिहास के विषय में जानकारी मिलेगी।

कानपुर डीएम रहने के दौरान एक दिन मेश्राम जी स्कूल जा रहे बच्चों के कपड़े कीचड़ से सने देखे। बच्चे ऐसे की कपड़े झाडक़र स्कूल की तरफ चल दिए। बच्चे गरीब थे। कौतहुलवश उन्होंने भी स्कूल पूछकर गाड़ी वहीं मोड़ दी। स्कूल पहुंचकर उन्होंने स्कूल की बदहाली देखी तभी उन्होंने कहा कि वह कल से सुबह सात बजे से आठ बजे तक बच्चों को पढ़ाने और कहानियां सुनाने आयेंगे।

जब डीएम ने सरकारी स्कूल में रोज सुबह सात बजे आकर बच्चों से इस तरह संवाद शुरू किया तो जिले में इसकी जमकर सराहना होने लगी और कई प्रतिष्ठिïति लोगों ने भी उनसे अनुरोध किया कि वह भी बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। देखते-देखते जिले के कई अधिकारी और प्रतिष्ठिïत लोग भी सरकारी स्कूलों में जाने लगे और देखते-देखते दर्जनों स्कूलों की तस्वीर बदल गई। जाहिर है अब लखनऊ में भी ऐसी ही क्रांति की शुरूआत जल्दी देखने को मिलेगी।

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