जरूरत बैंक: यहां फिक्स डिपॉजिट हैं बच्चों की खुशियां
इस बैंक में किसी का खाता नहीं है लेकिन हर जरूरतमंद बच्चा यहां कुछ न कुछ पाता है। इस बैंक में पैसे नहीं मिलते लेकिन आर्थिक व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की रोजमर्रा की जरूरत का हर सामान मिलता है वह भी मुफ्त। जी हां जरूरत बैंक में बच्चों की खुशियां फिक्स डिपॉजिट हैं बच्चे कभी भी यहां आकर अपनी प्रियांशी दीदी से ले लेते हैं। इतना ही नहीं किसी का बर्थ डे या फिर कोई त्योहार आउटिंग के साथ खाना शहर के बेहतरीन रेस्टोरेंट में ही होता है।
लखनऊ के लामार्टीनियर गल्र्स कालेज में इंटर की छात्रा प्रियांशी अग्रवाल ने एक ऐसा बैंक बनाया है जिसमें खाने के साथ ही पढऩे व पहनने को कपड़े भी मिलते हैं। जरूरत बैंक की परिकल्पना गढऩे वाली प्रियांशी को इसका आइडिया रोटी बैंक से आया। आस पास के गरीब बच्चों को सडक़ पर नंगे पैर घूमते देख मदद तो हो जाती थी पर यह कोई स्थायी समाधान नहीं था। प्रियांशी के मम्मी व पापा दोनो डॉक्टर हैं। प्रियांशी की जरूरत बैंक की परिकल्पना को आकार देने में जहां पिता डॉ. अनूप अग्रवाल मां डॉ. अनुराधा अग्रवाल ने मदद की वहीं भाई विभव व चाची पारुल ने कदम कदम पर प्रियांशी का साथ दिया।
सीतापुर रोड के किनारे बसी प्रियदर्शिनी कालोनी के सुश्रुत हॉस्पिटल में चल रहे जरूरत बैंक में जरूरतमंदों की भावनाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। जरूरत बैंक सोशल मीडिया के सहारे तो कभी व्यक्तिगत सम्पर्क कर लोगों से सहयेग की अपील भी कर रहा है। जरूरत बैंक ने सहयोग के इच्छुक लोगों से अनुरोध किया है कि अपने इस्तेमाल किये कपड़े धोकर व प्रेस कर अच्छी तरह से पैक कर के दें। जूते चप्पल भी फटे न हो। अपने बच्चों के इस्तेमाल किए हुए खिलौने किताबें कापी आदि इस बैंक में जमा करा दें। जरूरत पडऩे पर जरूरत बैंक गरीब बच्चों के मां बाप व बड़े भाई बहनों की भी मदद करता है। जरूरत बैंक ने सम्पर्क करने के लिए खासतौर पर हेल्पलाइन भी बनाई है। व्हाटसअप व हेल्पलाइन के नम्बर इस प्रकार हैं-
९४१५३४५९८३, ९४५३०४१२०८, ९४१५३१२०२७।
प्रियांशी के प्रयास की जितनी भी सराहना की जाये कम है। दीवाली के मौके पर जरूरत बैंक ने बच्चों के चेहरों पर मुस्कान सजाई है। बच्चों की खुशी से जरूरत बैंक का सपना अपना आकार ले रहा है। वह दिन दूर नहीं जब जरूरत बैंक न सिर्फ गरीबों मदद करेगा बल्कि लखनऊ ही नहीं पूरे देश की जरूरत बन जायेगा।
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