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सार्थक विकास : बढ़ रही जन भागीदारी 

सार्थक विकास : बढ़ रही जन भागीदारी

अनशन , हड़ताल और चक्का जाम आखिरी रास्ते है। उसके पहले समुचित पहल, कोशिश जरूर होनी चाहिए। किसी दौर में तो राजनीतिक और सामाजिक दोनों प्रकार के संगठन के अधिकतर प्रयास इन्ही कार्यो के रूप में होते रहे। कुछ साल से इस तरह के कार्य सही समझ, निरंतर विकास में बढ़ती जन भागीदारी और हमारी साझी सुव्यवस्था , सरकारी कानून, नियमो व विधानों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हर तरफ लोगों को खुद करने के लिए प्रेरित कर रही है। जनभागीदारी राजनीतिक व सामाजिक दोनों क्षेत्रों में बढ़ी है। इसी का नतीजा है कि सरकारी काम काज में स्थानीय जनों की भागीदारी बढ़ रही है। जिससे अपेक्षकृत कार्य अच्छा हो रहा है।
जितनी भागीदारी बढ़ेगी भ्रष्टाचार उतना कमजोर होगा और शिष्टाचार बढ़ेगा। भ्र्ष्टाचार को भारत जैसे अनोखे लोकतान्त्रिक राष्ट्र में ख़त्म तो नहीं हाँ कम किया जा सकता है। उसके लिए सकारात्मक प्रयास हर स्तर पर हो रहा है। सभी को बधाई। साथ ही अपेक्षा है कि अपने आस पास के परिवेश में जितना जी सके। जितना समय सहजता से हो वह सबके भले के सार्वजनिक कार्यो में जरूर लगाएं। यह आप की हमारी नैतिक जिम्मेदारी

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