बच्ची ने स्कूल न आने के लिए प्रिंसिपल को लिखी चिठठी
स्कूल में केवल शौचालय की समस्या नहीं है बल्कि इसके अलावा भी बच्चों को कई सारी दिक्कतें हो रही हैं। बच्चों के बैठने के लिए क्लास रूम नहीं हैं। बच्चे ईंट पत्थर के ऊपर बैठकर खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने पर मजबूर हैं। 50 साल पूराने इस विद्यालय की हालत बहुत ही जर्जर है।
उत्तर प्रदेश के आगरा के एक सरकारी स्कूल में इस फिल्म की कहानी दोहराई गई है। आगरा के प्राचीन प्राथमिक कन्या विद्यालय जगदीशपुरा में पढ़ने वाली एक बच्ची ने प्रिंसिपल को आवेदन लिखकर स्कूल में टॉयलेट न होने की शिकायत की है। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली खुशी ने स्कूल में शौचालय न होने की वजह से प्रिंसिपल को आवेदन देकर अपना नाम कटवाने की अपील की है। बच्ची का कहना है कि स्कूल में टॉयलेट नहीं है, जिसके कारण उसे और बाकी बच्चों को काफी दिक्कत होती है।
खुशी ने बताया, ‘स्कूल में शौचालय नहीं है। सर्दी के दिनों में तो ज्यादा प्यास नहीं लगती थी, इसलिए कम पानी पीते थे और टॉयलेट भी जाने की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन अब गर्मी का मौसम आ रहा है। हमें ज्यादा प्यास लगती है और अगर ज्यादा पानी पीएंगे तो बार-बार टॉयलेट भी जाना पड़ेगा, लेकिन स्कूल में इसकी व्यवस्था नहीं है। इसलिए मैंने नाम कटवाने के लिए प्रार्थनापत्र प्रिंसिपल को दे दिया है।’
आगरा-फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा की कहानी सरकारी पाठशाला में दोहराई गई. प्राचीन प्राथमिक स्कूल कन्या जगदीशपुरा में पढ़ने वाली कक्षा तीन की छात्रा खुशी ने विद्यालय में शौचालय न होने की वजह से नाम कटवाने का प्रार्थनापत्र स्कूल की प्रिंसिपल को दिया है.बता दें कि स्कूल में केवल शौचालय की समस्या नहीं है बल्कि इसके अलावा भी बच्चों को कई सारी दिक्कतें हो रही हैं। बच्चों के बैठने के लिए क्लास रूम नहीं हैं। बच्चे ईंट पत्थर के ऊपर बैठकर खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने पर मजबूर हैं। 50 साल पूराने इस विद्यालय की हालत बहुत ही जर्जर है। वहीं बच्चों के लिए खाना भी खुले में ही बनता है। खाना बनाने के लिए छोटा सा चूल्हा बस स्कूल में मौजूद है। आपको बता दें कि आगरा में यह पहला केस नहीं है। इससे पहले भी रामबाग के सीता नगर के प्राथमिक विद्यालय में टॉयलेट न होने के कारण चार छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया था। इसके अलावा इसी स्कूल की अन्य 31 छात्राओं ने भी नाम कटाने का ऐलान किया था।
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