Subscribe Now
Trending News

Blog Post

हमारा कैम्पस

यहां तो दीवारे भी पढाती हैं 

यहां तो दीवारे भी पढाती हैं

उत्तर प्रदेश का एक सरकारी स्कूल इन दिनों अच्छी वजहों से चर्चा में है। प्रदेश के दूरदराज़ गांव के इस स्कूल की सूरत शक्ल कुछ ऐसी है कि आसपास के इलाक़ों में यह सरकारी कान्वेंट के रूप में मशहूर हो गया है। बच्चे इस प्राथमिक पाठशाला को निजी अंग्रेज़ी स्कूलों पर तरजीह दे रहे हैं। हालांकि यह सरकारी स्कूल है लेकिन इसमें बच्चों को अंग्रेज़ी की ख़ास तालीम दी जाती है। इसके अलावा कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को रोज़ाना एक घंटे कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है। स्कूल में बिजली की कमी से निपटने के लिए ख़ास इंतज़ाम किया गया है। इस स्कूल के सभी पंखे और लाइट सौर ऊर्जा से चलते हैं। स्कूल का फर्नीचर शानदार है और किसी भी महंगे निजी स्कूल के स्तर का है। स्कूल की इमारत, परिसर में साफ-सफाई और ढांचागत सुविधाएं तय मानकों से कहीं ज़्यादा बेहतर हैं। परिसर में ढाई सौ गमले और सैकड़ों फूल वाले पौधे लगाए गए हैं। स्कूल का मिड डे मील शानदार है। भोजन से पहले बच्चों को हाथ साफ करना अनिवार्य है। सभी शिक्षक समय से आते हैं और शायद ही कभी छुट्टी लेते हैं।

स्कूल के सभी पंखे और लाइट सौर ऊर्जा से चलते हैं।
स्कूल के सभी पंखे और लाइट सौर ऊर्जा से चलते हैं।
सत्र के शुरू में सभी बच्चों को बैग और टाई स्कूल की तरफ से मिलती है। सभी बच्चों को पहचान पत्र दिया गया है। स्कूल में हर महीने बच्चों का टेस्ट लिया जाता है। क्लास में सबसे ज़्यादा नंबर लाने वाले बच्चे का नाम स्कूल में लगे बोर्ड पर लिखा जाता है। बच्चों को रोज़ाना स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। होमवर्क कम से कम मिलता है और पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
ये सरकारी स्कूल संभल ज़िले के असमोली ब्लॉक में है। इटायला माफी गांव के स्कूल में 251 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें 100 से ज़्यादा बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने पूरे साल कोई भी छुट्टी नहीं ली। इस स्कूल के छात्र ने 97 फीसदी अंक लाकर ज़िले में टॉप किया है। जबकि कई दूसरे बच्चे ज़िले के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। स्कूल की शोहरत सिर्फ इलाक़े तक सीमित नहीं रही। ख़बर लखनऊ तक पहुंची तो सरकार ने स्कूल को आदर्श स्कूल मानते हुए एक लाख बीस हजार रुपए का इनाम भी दिया। जल्द ही ये प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल होगा जिसमें बायोमीट्रिक मशीन से हाज़िरी लगेगी। इसके लिए 14 हज़ार रूपये की मशीन ख़रीदी गई है। स्कूल में पढऩे वाले 308 बच्चे व छह शिक्षकों के फिंगर प्रिंट लेकर व लैपटॉप में सबके नामों की फीडिंग की गई है। स्कूल में देरी से आने या समय से पहले जाने के लिए अब शायद ही कोई शिक्षक या छात्र बहाना बना सके।
ये सब पढ़ने के बाद किसी को भी इटायला माफी के इस सरकारी स्कूल से रश्क हो सकता है। लेकिन इटायला माफी का ये स्कूल हमेशा से ऐसा नहीं था। कुछ साल पहले तक किसी भी आम सरकारी स्कूल की तरह बदहाल और वीरान था यह स्कूल। बदलाव की इस बयार के पीछे कपिल मलिक हैं जो इस स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। कपिल मलिक के आने के बाद स्कूल मे बच्चों की संख्या 50 से बढ़कर 265 हो गई। उन्होंने शिक्षकों को बच्चों पर ज़्यादा ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया। एक बार स्कूल में पढ़ाई शुरू हुई तो संसाधन भी बढ़ने शुरू हो गए। कुछ संसाधन स्कूल के शिक्षकों ने अंशदान से जुटाए, कुछ सरकारी मदद मिली और लोगों ने भी आगे बढ़कर सहयोग किया। स्कूल को जो कुछ भी मिला वो ईमानदारी के साथ ख़र्च किया गया। समय के साथ स्कूल की शक्ल ऐसी बदली कि प्रदेश सरकार ने इसे मॉडल स्कूल मान लिया।
स्कूल में सुविधाएं और पढ़ाई देखकर आसपास के इलाक़ों से लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहे है। ये पाठशाला साबित करती है सरकारी स्कूल लुटेरी निजी शिक्षा व्यवस्था का विकल्प बनाए जा सकते हैं। बस ज़रूरत ज़ज़्बे की है और उस से भी बढ़कर कपिल मलिक जैसे लोगों की जो व्यवस्था को बदलने की क़ूवत रखते हैं।

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *