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पुस्तक मेला समितियों की ऑनलाइन प्रतियोगिताएं, बच्चों ने बताई अपने मन की बात 

पुस्तक मेला समितियों की ऑनलाइन प्रतियोगिताएं, बच्चों ने बताई अपने मन की बात

लखनऊ। घर पर आनलाइन प़ढ़ाई करते बच्चे इस कोरोना संकट काल में बच्चे अपने स्कूल, शिक्षक-शिक्षिकाओं और स्कूल के सहपाठियों को बहुत याद कर रहे हैं। खेलना, भागना-दौड़ना, साथ-साथ टिफिन खाना, टीचरों की खट्टी-मीठी डांट से लम्बे अरसे से दूर बच्चे घरों में ऊब से रहे हैं। खासकर इस बात का इजहार उन्होंने पुस्तक मेला समितियों की आनलाइन प्रतियोगिता मेरे मन की बात में अलग-अलग अंदाज में किया। इसके अलावा आज दिन में साहित्य सरिता की आनलाइन काव्य संगोष्ठी हुई। प्रतियोगिताओं के कल दोपहर बाद तीन बजे से बच्चों की नृत्य प्रस्तुतियां होंगी।
सहित्य सरिता के द्वारा काव्य पाठ में रीवा की अर्चना श्रीवास्तव ने- मैं सर्जना हूँ अखिल विश्व की…रचना पढ़ी।
भिलाई की राजिंदर मृदुला ने- याद मेरी कभी आयी कभी जैसी लाइनें पढ़ीं। कानपुर की नीतू अग्रवाल की रचना में छोटी सी आंख में सपने भर लिये जैसी बातें थीं। जैसलमेर की गायत्री स्वर्णकार ने कहा- उफनता है जल तो नदी तट बंध टूट जाता। बिलासपुर की नीरज नन्दिनी ने हास्य रस में डूबी पत्नी का इलेक्शन कविता में सास, ससुर भईया और पति के रिश्तों की नई व्याख्या की। लखनऊ की ज्योति किरन रतन ने- गीत ओ अलबेली मालिनीया तारो का गजरा मोल दे…रचना सुनाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इन्दौर की प्रभा जैन इन्दौर ने हास्य रचना बेचारा पति में लाकडाउन में घर के काम में लगे श्रीमान का हाल बताकर गुदगुदी पैदा की।
सायंकाल बच्चों के कार्यक्रम मेरे मन की बात में बच्चों ने उत्साह से अपनी बात कही। सृष्टि विश्वास के नमो नमो शंकरा गीत पर नृत्य से प्रारम्भ प्रतियोगिता में सिवन्या गुप्ता, शाम्भवी दुबे, अरण्या सिंह, मिताली, गुलशन, शमशेर, राखी, मयंक, अश्वित आदि बच्चों ने भाग लिया। अधिकांश बच्चों ने कहा कि स्कूल खुल जाये, उन्हें दोस्तों के साथ खेलने मस्ती करने अपने अनुभव बांटने को मन मचल रहा है। साथ ही बच्चों ने कोरोना, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों को कोसते हुए इन बीमारियों के खात्मे और सबके स्वास्थ लाभ की कामना की।

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