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सरकार भले ही खोले दे स्कूल, 71 प्रतिशत अभिभावक नहीं चाहते खुले स्कूल 

सरकार भले ही खोले दे स्कूल, 71 प्रतिशत अभिभावक नहीं चाहते खुले स्कूल

अनलॉक-4 में जहां सरकार ने क्लास 9 से 12वीं तक की क्लासों को खोलने का आदेश दिया था। वहीं, अब अनलॉक-5 में पूरी क्लासों को खोलने की तैयारी है। सरकार भले ही स्कूल खोलने जा रही है। राज्य सरकारें या केंद्र सरकार स्कूलों को खोलने के लिए जो भी गाइडलाइंस जारी करेगी। सरकार भले ही स्कूल खोल दें लेकिन 71 प्रतिशत माता-पिता अक्टूबर में अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे, भले ही स्कूल फिर से खुल जाएं। एक सर्वे में यह रिपोर्ट सामने आई है। कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए मात्र 20 से 23 प्रतिशत माता-पिता ही अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार है।

इस सर्वे के मुताबिक बाकी के 28 प्रतिशत माता-पिता कैलेंडर वर्ष 2020 में फिर से खुलने वाले स्कूलों के पक्ष में हैं, जबकि 34 प्रतिशत का मानना ​​है कि उन्हें अगले शैक्षणिक वर्ष यानी अप्रैल 2021 में ही खुल जाना चाहिए। इस मुद्दे पर उत्तर भारत में कई माता-पिता को उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर के महीने में कोविड-19 के साथ ही स्मॉग की स्थिति रहेगी जो बच्चों के स्वास्थ्य को बदतर बना देगी। ऐसे में अब बच्चों को अभिभावक नहीं भेजना चाहते हैं।

देश में इस समय कोरोना के मामले बढ़कर करीब 62 लाख के आसपास पहुंच गए हैं। ऐसे में अब अभिभावक अपने बच्चों नहीं भेजना चाह रहे हैं। देश में प्रतिदिन करीब 80,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। अभी तक इनके रूकने के कोई संकेत भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। लोकल क्रिकल्स ने कहा कि कोविड से प्रतिदिन आने वाले मामले का बोझ थोड़ा कम हो गया है और पिछले दो हफ्तों में औसत संख्या 11 लाख से गिरकर 7 लाख प्रति दिन हो गई है। ऐसे में अब अभिभवाकव बहुत ही चितिंत हे।

217 जिलों में किया गया सर्वे
सर्वे एजेंसी लोकल क्रिकल्स ने स्कूल के फिर से खुलने पर माता-पिता की नब्ज टटोलने के लिए एक सर्वेक्षण किया है। एजेंसी की तरफ से यह सर्वे देश के लगभग 217 जिलों में स्थित अभिभावकों से 14,500 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं हैं, जिसमें टीयर 1 जिलों के 61% अभिभावक, टीयर 2 जिलों के 21 प्रतिशत और टीयर 3, टीयर 4 और भारत के ग्रामीण जिलों से 18 प्रतिशत अधिक हैं। बच्चों के अभिभावकों से यह पूछा गया कि आखिरकार क्या स्कूल खुलने पर बच्चों को भेजा जाएगा। इस पर अभिभावकों ने कहा कि अभी स्पष्ट नहीं है। जबकि केवल 20 प्रतिशत ने कहा ‘हाँ’। 9 प्रतिशत भी इसे लेकर अनिश्चित थे। अभी स्कूलों में न भेजने की असली वजह यह थी कि कोविड-19 की वजह से अब हम लोग अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे।

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