अपने खर्चों से स्कूल की बगिया को संवारने वाली शिक्षिका स्नेहिल पाण्डेय को इस बार राष्ट्रपति ने सम्मानित किया है। उन्नाव जिले की स्नेहिल पाण्डेय को इस बार राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया है। स्नेहिल उन्नाव जिले के नवाबगंज ब्लॉक के अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक स्कूल में प्रधान शिक्षक हैं। स्नेहिल पाण्डेय ने गांव के स्कूल में अंग्रेजी विषय को अपनी शैली से काफी आसान तथा रूचिकर बनाया। उनकी मेहनत का ही नतीजा रहा है कि नवाबगंज गांव के बच्चे अब अंग्रेजी पढ़ने से भागते नहीं हैं बल्कि इसका डटकर मुकाबला करते हैं।
सोहरामऊ ब्लॉक में पढ़ाने वाली शिक्षिका स्नेहिल पाण्डेय ने जिस तरह से मेहनत की है, उसका ही नतीजा अब कुछ बेहतर रहा है। उन्होंने शिक्षण को रुचिकर बनाने, छात्रों को स्वास्थ्य व सामाजिक गतिविधियों से जोड़ने और अंग्रेजी में पढ़ने तथा बोलने में निपुण बनाया। इसके साथ ही जिले की हर गतिविधि में कई उपलब्धियों के लिए उनका चयन किया गया है। प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पाण्डेय ने बच्चों को नवाचार के माध्यम से पढ़ाने के साथ अपने स्कूल का वातावरण सुंदर करने के लिए कई प्रेरणादायी काम किया। इन्हीं सब काम को देखते हुए उनका चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किया गया था।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डॉ. स्नेहिल पांडेय का कहना है कि उन्होंने बेटियों की शिक्षा के साथ बुनियादी शिक्षा को मजबूती देने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ कई अभियान व नवाचार को अपनाया। उन्होंने बताया कि ड्रॉप बॉक्स व ट्रेन की इन बोगियों में पठन-पाठन सामग्री बच्चों के पढ़ने के लिए रखी जाती है। यूनिफॉर्म व किताबों के वितरण के दौरान अभिभावकों को भी इस बाबत जागरूक किया गया। इसके माध्यम से बच्चे पढ़ लिख रहे हैं।
उत्तर प्रदेश से अकेली महिला शिक्षिका
इस बार अवार्ड के लिए चुनी गई लखनऊ कानपुर हाईवे से सटे हुए हुए सोहरामऊ उन्नाव के सरकारी प्राथमिक इंग्लिश मीडियम विद्यालय और बच्चों की पढ़ाई को लेकर स्नेहिल पाण्डेय ने ऐसा काया कल्प किया है कि विद्यालय की प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पांडेय को भारत सरकार ने इस साल के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना है। वैसे, इस बार इस पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली डाक्टर स्नेहिल पांडेय उत्तर प्रदेश से अकेली महिला शिक्षिका हैं। डाक्टर स्नेहिल पांडेय के इस खूबसूरत सरकारी प्राथमिक इंग्लिश मीडियम विद्यालय को आप भी पहली नजर में सरकारी विद्यालय मानने को तैयार नहीं होंगे।
कोरोनाकाल में घर-घर पढ़ाती है शिक्षिका
इस कोरोनाकाल में भी बच्चों की पढ़ाई को बेहतर से बेहतर करने का प्रयास स्नेहिल पांडेय कर रही है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से जो बच्चे वंछित है वह उनके घर में पढ़ाने के लिए जा रही है। । उन्होंने उन बच्चों की दुश्वारी को दूर करने का कार्य किया जिनके पास मोबाइल फोन या लैपटॉप नहीं है। संसाधनों के अभाव से कहीं न कहीं वह ऑनलाइन शिक्षा से अछूते थे। इसके लिए उनके घर के आंगन में ही क्लास शुरू की। उन्नाव के प्राथमिक विद्यालय सोहरामऊ से पास आउट कुछ बच्चों के साथ स्कूल के कुछ होनहार बच्चों को प्रशिक्षित किया गया, जिनके पास मोबाइल फोन या लैपटॉप है। इनकी मेहनत से संसाधन के अभाव से पिछड़ रहे बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। बच्चों को पढ़ाने से पहले यह बच्चे पहले स्वयं पढ़ते हैं। इसके बाद दूसरे बच्चों को वह पढ़ा रहे हैं। इसमें स्कूल के शिक्षक भी बच्चों का पूरा सहयोग करते हैं।
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