प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है, वह किसी भी परिस्थितियों में रहे अपनी अलग छाप छोड़ ही देती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले की रहने वाली मधु ने। मध्य प्रदेश के 12वीं के आए परिणाम में एक बेहद गरीब परिवार की बच्ची ने अपनी प्रतिभा से सबको गौरवान्वित किया। उसने कई लोगों को अपनी प्रतिभा की तरफ आकर्षित किया है। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में सड़क पटरी पर जूते बेचने वाले कन्हैया लाल की बेटी मधु टॉपरों में शामिल हुई है। 12वीं में जीव विज्ञान से पढ़ाई करने वाली मधु ने 500 में 485 अंक हासिल किए।
भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती है मधु
12वीं परीक्षा में बेहतर अंक हासिल करने वाली मधु भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती है। मधु ने बताया कि हम पांच भाई बहन हैं। परिवार चलाने के लिए हमारे पिता बस अड्डे के पास सड़क पर पटरी बिछाकर जूते बेचते हैं। मुध ने बताया कि परीक्षा में बेहतर अंक पाने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की। मैं रोज सुबह चार बजे उठती थी और दिन में बोर्ड की परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए आठ से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। अब कई घंटों की पढ़ाई का नतीजा आप लोगों के सामने बेहतर है। उन्होंने बताया कि मेरा सपना भविष्य में डॉक्टर बनने का है। मधु ने बताया कि मैं नीट की तैयारी कर रही हूं। मेरी इस कामयाबी से माता-पिता और पूरा परिवार बहुत खुश है।
सरकार से आर्थिक मदद की गुजारिश
इंटर की परीक्षा में बेहतर अंक पाकर परिवार का नाम रोशन करने वाली मधु ने सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है। मधु ने कहा कि सरकार मेरी से गुजारिश है कि मुझे उच्च शिक्षा के लिए मदद की जाए। मधु ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण मेरे पिता आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। मधु ने कहा कि सबसे ज्यादा चुनौती मेरे परिवार के सामने आर्थिक चुनौती है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मदद करें तो डॉक्टर बनने का उसका सपना जरूर साकार हो सकता है। उन्होंने बताया कि आठ सदस्यों वाला उसका पूरा परिवार हरिजन बस्ती के दो कमरे के घर में रहता है। उसने बताया कि अब मैं मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी कर रही हूं।
मधु ने बताया कि वह सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी। मैं दिन में पढ़ाई करने के लिए पूरा समय पढ़ाई में जाता था। नीट की तैयारी के लिए इस कोरोना लॉकडाउन के दौरान मैंने बहुत ही अच्छे तरह से पढ़ाई कर रही हूं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में मुझे पढ़ने के लिए खूब समय मिला और इसका परिणाम आज सामने है। बेटी की सफलता से गौरवान्वित पिता कन्हैयालाल ने कहा, मेरी बेटी सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रही है, उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि वह डर नहीं। आगे भी पढ़ाई जारी रखें, उन्होंने कहा कि कहीं गरीबी इसमें बाधा न बने।
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