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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मनाया अपना 92वां स्थापना दिवस 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मनाया अपना 92वां स्थापना दिवस

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) को 16 जुलाई, 2020 को स्थापित हुए 92 साल हो गए है। 16 जुलाई को संस्थान ने अपना 92वाँ स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की, जिनकी बदौलत ICAR ने बीते 9 दशकों के दौरान भारत के किसानों को बहुत कुछ दिया है।
संस्थान की तरफ से समय-समय कृषि क्षेत्र को लेकर किए जाने वाले रिसर्च ही बहुत कारगर साबित हुए हैं। बता दें, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री) के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है, जिसकी स्थापना 16 जुलाई, 1929 में रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट का अनुसरण करते हुए की गई थी।
जब इस संस्था की स्थापना की गई थी, उस समय इसका नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (Imperial Council of Agricultural Research) था, जिसे आजादी के बाद में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के रूप में बदल दिया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
देशभर में आईसीएमआर के 102 संस्थान है। यही नहीं, राज्यों में 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह संस्थान विश्व की सबसे बड़ी कृषि प्रणालियों में से एक है। बता दें, संस्था की तरफ से हर वर्ष संस्थानों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और कृषि पत्रकारों को मान्यता और पुरस्कार भी दिए जाते हैं।

अत्याधुनिक फुटवियर प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने चमड़ा कारीगरों को प्रशिक्षित करने के लिए नई पहल की है। अब उनके लिए दिल्ली में अपनी तरह के पहले फुटवियर प्रशिक्षण केंद्र (Footwear Training Center) बनाया गया है। जिसका आज उद्घाटन किया गया। दिल्ली स्थित इस फुटवियर प्रशिक्षण केंद्र में उच्च गुणवत्ता वाले फुटवियर बनाने के लिये चमड़ा कारीगरों को 2 माह का एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम मुहैया कराया जाएगा, ताकि यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद लोग अच्छी तरह से काम कर सकें।
गौरतलब है कि यह प्रशिक्षण केंद्र प्रशिक्षित कारीगरों को सफलतापूर्वक दो माह की ट्रेनिंग पूरी करने के पश्चात् अपना स्वयं का जूता बनाने का व्यवसाय शुरू करने में भी मदद करेगा। यहां पर प्रशिक्षण हासिल करने आने वाले कारीगरों को भविष्य में अपने कार्य को पूरा करने के लिये 5000 रुपए की एक टूल किट भी संस्थान की तरफ से दी जाएगी। इस केंद्र का उद्घाटन करते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष वी.के. सक्सेना ने चमड़े के कारीगरों को ‘चर्म चिकित्सक’ अर्थात् चमड़े के डॉक्टर के रूप में संबोधित किया। ध्यातव्य है कि अब फुटवियर, फैशन का एक अभिन्न अंग बन गया है और जूता बनाना अब एक सिर्फ एक कार्य नहीं रह गया है।

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