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श्यामपट्ट में आज भी समाहित है सर की यादें 

श्यामपट्ट में आज भी समाहित है सर की यादें

लखनऊ – सरबजीत सर हमे गणित पढ़ाते थे। वे शहर के जाने माने शिक्षकों में सुमार करते थे। उस शहर के कई स्कूलों में वे वैदिक गणित पढ़ाने जाते थे। जब हम पता लगा कि हमारी क्लास अब सबरजीत सर लेंगे तो हम सब बहुत उत्साहित थे। मैं उनसे जुड़े कुछ किस्से सांझा करना चाहता हूँ। वह उनका पहला दिन था क्लास में। हम सब बहुत बेसब्री से उनका इन्तजार कर रहे थे। उनका क्लास में आगमन हुआ । सभी ने उन्हें विश किया । क्लास में आते ही उन्होंने एक बच्चे को खड़ा किया और पूछा बताओ सेकंड वर्ल्ड वॉर क्यो हुआ ? हम सब अचंभित थे कि गणित के क्लास में ये प्रश्न कहा से आ गया ।

वो बच्चा तो इसी दुबिधा में राह गया । फिर उन्होंने दूसरे को खड़ा किया तो वह बोला सर वो हिटलर की वजह से हुआ । तीसरे को खड़ा किया तो वह बोला सर हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया था तभी से वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ। इस पर वो बोले यार आप लोग कितने टेंस होकर पढ़ते हो सिंपल सी बात है फर्स्ट हो चुका था इसलिए सेकंड हुआ, गणित की क्लास है यार। सरबजीत सर हमे पढ़ाते पढ़ाते कई बातें बताया करते थे उनकी क्लास में सभी को बहुत मजे आते थे।

एक बार वो बोले पता है आज कल के बच्चे पढ़ना नही चाहते । इस पर उन्होंने एक कहानी सुनाई। वे बोले एक शहर में बहुत रहीश परिवार था, उस परिवार में बहुत से बच्चे थे। उस परिवार में बहुत परेशान थे क्योंकि वो बच्चे किसी से पढ़ते नही थे। कोई भी शिक्षक आता , दो दिन में चला जाता वापस। उस परिवार के मुखिया को पता लगा शहर एक बहुत अच्छा शिक्षक है। वह उस शिक्षक के पास गया और बोला आप जितना बोलोगे मैं उतने पैसे दूंगा पर कृपया मेरे घर के बच्चों को आप पढ़ा दो। वह शिक्षक मां गया। दूसरे दिन वह उस परिवार गया, और सारे बच्चो को अपने पास इकट्ठा करके लॉन में ले गया । उस शिक्षक के हाथ मे एक पिंजरा था जिसमे सफेद चूहे थे, बच्चे उसे देख कर बहुत उत्साहित थे। उस शिक्षक ने सबको बैठाया फिर धीरे से पिजरे को खोला। पिंजरे से दो चूहे निकल कर भागे। सारे बच्चे खुश होकर ताली बजाने लगे कि दो चूहे भाग गए ।

अब उस शिक्षक ने दुबारा पिंजरा खोल इस बार तीन चूहे भागे, बच्चे फिर ताली बजाने लगे कि तीन चूहे भाग गए। इस पर उस शिक्षक नद एक बच्चे से पूछा कि बेटा बताओ कुल कितने चूहे भाग गए। इस पर बगल वाले ने उस बच्चे से बोला , बताना मत यह हमें पढ़ा रहा है। यह सुन कर हम सब हँसने लगे। सरबजीत सर की हर बात निराली थी। जिस की हर क्लास में एक दो ऐसे विद्यार्थी होते है जो किसी की नही सुनते, शिक्षकों को परेशान करते है। हमारी क्लास में एक ऐसा ही बच्चा था। उस दिन सरबजीत सर की क्लास चल रही थी, वह विद्यार्थी अंतिम सीट पर बैठा था, सर जैसे ही बोर्ड पर लिखने को मुड़ते वो ताली बजाने लगता। सर एक दो बार तो उसे इग्नोर किया फिर बोले बच्चो पहले ना घर मे कुछ अच्छा काम होता था तो माँगने आते थे, फिर ट्रैनों में आने लगे मांगने, फिर बसो में माँगने आने लगे अब उनमे से कुछ क्लास में भी आकर बैठने लगे। सबको समझ आ गया वो क्या कह गए थे। उस दिन के बाद से उसने किसी शिक्षक को परेशान नही किया। हम सब आज भी सरबजीत सर को याद करते है, उनसे मिलने जाते है तो वो आज भी पहले की तरह कुछ ऐसी बात बोल जाते है जो हमे सोच में डाल देती है। नमन हैं ऐसे शिक्षकों को।

रिपोर्ट – हमारा ब्लैकबोर्ड डेस्क

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