करीब साल भर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुसी राष्ट्रपति के निमंत्रण पर सोची में गिफ्टेड एजुकेशन से जुड़े एक सीरियस सेंटर का दौरा किया था. अब उनके निर्देश पर भारत में भी इस तरह का काम शुरू हो गया है. रूस की तर्ज पर नैसर्गिक प्रतिभाओं को तराशने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में भी सीरियस एजुकेशनल सेंटर जैसा प्लेटफार्म बनाना चाहते थे. इसका उद्देश्य यह था कि काबिलियत के दम पर युवा दुनिया में हिंदुस्तान का परचम लहरा सकें.
पिछले साल मई में रूस दौरे पर गए पीएम मोदी को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस सेंटर के बच्चों और उनकी खासियत से रूबरू कराया था. इसके बाद नरेंद्र मोदी ने देश में भी सोची के सीरियस एजुकेशनल सेंटर जैसा प्लेटफार्म बनाने की योजना बनाई थी. ईटी को मिली जानकारी के अनुसार सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस का पायलट प्रोजेक्ट अक्टूबर में शुरू किया जा सकता है. यह मोदी सरकार के पहले 100 दिन के एजेंडे में शामिल है.
केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी सपने पर काम करना शुरू कर दिया था. इस पहल में नौवीं से बारहवीं कक्षा के 60 बच्चों को मेंटरशिप प्रोग्राम के लिए चुना जायेगा. इन बच्चों को आईआईटी दिल्ली और नेशनल बाल भवन में ट्रेनिंग दी जाएगी. 15 दिनों के इस रेजिडेंशियल प्रोग्राम का अभी नाम तय नहीं किया गया है. यह पूरी तरह सरकार की तरफ से फंड किया जायेगा. इसमें छात्रों का हुनर तलाशा जायेगा और बाद में उसे निखारने के तरीके पर विचार किया जायेगा.
शुरुआत के लिए 30 बच्चे लिबरल आर्ट मॉड्यूल और 30 बच्चे विज्ञान एवं इंजीनियरिंग मॉड्यूल से चुने जायेंगे. मानव संसाधन विकास मंत्रालय वास्तव में ओलंपियाड, प्रतियोगिता और इस तरह के क्षेत्र में टॉप किये गए बच्चों की सूची बना रहा है. सोची के सेंटर में हर क्षेत्र के होनहार छात्रों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वरिष्ठ अधिकारियों को अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट बनाने को कहा था.
क्या है सोची सेंटर में खास – सोचीके सेंटर में खेल, डांस, संगीत, आइस हॉकी, कला, विज्ञान, तकनीक व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की प्रतिभाओं को तराशा जाता है. बच्चे अपने काबिलियत के आधार पर विषय चुनते हैं और एक्सपर्ट उन्हें तराशते हैं. इसमें छात्र को परिवार, समाज या दोस्त की सलाह पर नहीं, बल्कि हुनर के आधार पर भविष्य के लिए तैयार किया जाता है. इस सेंटर में अपने-अपने क्षेत्र के हर काबिल छात्र को रखा जाता है, इस सेंटर को बनाने का आइडिया राष्ट्रपति पुतिन का था.
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