बिहार – सफलता की यह कहानी उन 33 दोस्तों के साथ और उनकी एकजुटता की एक प्रेरक गाथा है, जो पिछले साढ़े तीन सालों से निरंतर स्कूली बच्चों को फलदार पौधे वितरित कर रहे हैं। लोगों ने उन्हें कई बार एनजीओ बनाकर कार्य करने का सुझाव दिया, लेकिन ये दोस्त मानते हैं कि इस कार्य को करने के लिए वे और उनके परिवार के सदस्य ही काफी हैं, जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बिहार के नालंदा जिले में 20 प्रखंड हैं और नूरसराय भी उसी में एक प्रखंड है। यहीं ‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ नाम से ये दोस्त एक मिशन चला रहे हैं और अब तक 1253 शिक्षण संस्थानों में लगभग 4 लाख 70 हजार पौधे निःशुल्क वितरित कर चुके हैं।
राजीव बताते हैं, “एक दिन तो ये 60 पौधे यूँही पड़े रहे। फिर अगले दिन याने 16 जून, 2016 को मैंने अपनी 7 साल की बेटी के स्कूल में जाकर पूछा कि मेरे पास अमरूद के 60 पौधे हैं, क्या मैं उसे विद्यार्थियों को दे सकता हूँ? और स्कूल के प्रिंसिपल ने इजाज़त दे दी।” ये पौधे उस दिन 60 बच्चों को बाँट दिए गए। पर इस बात की भनक लगते ही अगले दिन 700 बच्चों ने बारी-बारी प्रिंसिपल के ऑफिस में जाकर पौधे मांगे। प्रिंसिपल के कहने पर राजीव और उनके दोस्तों ने 100 और पौधे बांटे।
इन दोस्तों को तब इस बात का भी अंदाजा नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में फलदार पौधे कहां मिलेंगे। पर धीरे-धीरे इन लोगों ने इस मुहीम को चलाये रखने के लिए इन सारी चीज़ों की जानकारी हासिल कर ली। और बस! स्कूलों में पौधे बांटने का यह सिलसिला यही से शुरू हो गया। राजीव का अनुभव रहा है कि बच्चे अपने पौधों को पेड़ बनाने के लिए पूरी जान झोंक देते हैं। अपने पौधे लगाने के लिए वे ऐसी-ऐसी जगहें ढूंढ लेते हैं, जो पहले किसी की नजर में भी नहीं आई होती। ये बच्चे अपने पौधों को पेड़ बनाकर ही दम लेते हैं।
राजीव की बेटी के स्कूल में बांटे गए ये सभी पौधे आज पेड़ बन गए हैं। उस वृक्षारोपण की वजह से आज विद्यालय में 400 से अधिक पेड़ हैं और यह जिले का सबसे हरा-भरा विद्यालय परिसर है। कई स्कूलों में जब ये 33 सदस्य निःशुल्क पौधे देने का प्रस्ताव लेकर जाते तो उन्हें विश्वास ही नहीं होता। स्कूल मैनेजमेंट इनसे तरह-तरह के सवाल करता। उन्हें विश्वास दिलाया जाता कि कभी भी इस काम के लिए आपसे कोई रुपया नहीं लिया जाएगा, तब जाकर उन्हें अंदर आने दिया जाता। पर यह इन लोगों की लगन ही थी कि धीरे-धीरे स्थिति बदल गयी। अब लोग इन्हें जानने लगे हैं और हर जगह इनका स्वागत होता है।
‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ के सभी 33 सदस्य टीम भावना से काम करते हैं। किसी को भी किसी काम के लिए कभी कहना नहीं पड़ता। पिछले 3 सालों से ये लोग एक दिन भी नहीं थककर नहीं बैठे। 70 किलोमीटर दूर वैशाली या अन्य जगहों से पौधे खरीदे जाते हैं। फिर स्कूल में बात करना कि कल हम आएंगे, पौधों को गाड़ी में लोड करना, सभी काम टीम भावना से ही हो रहे हैं। किसी भी काम के लिए एक भी लेबर नहीं लगाया गया है। अब तक वितरित किए गए पौधों में से 95 प्रतिशत पौधे नालंदा जिले में वितरित हुए हैं, शेष बिहार के पटना, शेखपुरा और नवादा जिलों में। झारखंड के गिरिडीह जिले की 10 स्कूलों में भी लगभग 5000 से अधिक पौधे वितरित हुए। स्कूलों के अलावा बहुत से कोचिंग संस्थानों में भी पौधे वितरित हुए हैं।
पौधा वितरण के दौरान राजीव स्कूल में बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करते हैं। उसी का परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से भी ज़्यादा है। देश का हर नागरिक चाहता है कि वह देशहित में कुछ अच्छा काम करे, पर उसे रास्ता नहीं मिल पाता। लेकिन इन दोस्तों को इतना खूबसूरत रास्ता मिल चुका है कि उस रास्ते में इनकी भेंट रोज़ 500 से 800 नए बच्चों से होती है। हर रोज़ नया स्कूल, नई जगह होती है। आज भी एक तबका ऐसा है जो सिर्फ बीमार होने, रिश्तेदारों के आने या पूजा पाठ के दौरान ही फल खाता है। पर इस तरह इस मिशन ने इन बच्चों को एक फल क्रांति के लिए आंदोलित करने की भूमिका अदा की है।
‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ द्वारा दो निःशुल्क पौधा वितरण केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं, जहां हर रविवार को 500 पौधे वितरित किये जाते हैं। यहाँ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा दिया जाता है। यह कार्यक्रम 15 महीने से नियमित जारी है और अब तक 30,000 से अधिक पौधों का वितरण किया जा चुका है।
रिपोर्ट – हमारा ब्लैकबोर्ड डेस्क
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