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देहरादून में गांव वालों ने ऐसे कमाये पैसे 

देहरादून में गांव वालों ने ऐसे कमाये पैसे

देहरादून। गांव वाले यह अच्‍छी तरह जानते हैं कि जब उनके जंगल जमीन बचे रहेंगे तब ही गांव का अस्तित्व बचा रहेगा। बायोलॉजिकल डायवर्सिटी ऐक्ट के तहत आर्थिक लाभ पाने वाले उत्तराखंड के दुधई गांव के निवासी संभवत: देश के पहले ग्रामीण बन गए हैं। ग्रामीणों ने इसके साथ ही स्वर्ण नदी में चल रहे अवैध खनन को भी समाप्त करा दिया, जो कृषि योग्य जमीनों और जंगलों को नष्ट कर रहे थे। देहरादून के पास दुधई में बड़े पैमाने पर पत्थरों और रेत की खुदाई में शामिल भू-माफियाओं से लड़ना ग्रामीणों और वन अधिकारियों के लिए सोच से भी बाहर था, लेकिन उन्होंने बायोडायवर्सिटी ऐक्ट के प्रयोग से इसमें सफलता हासिल की।
जंगल बचाने में ही कमाये पैसे
दुधई बायोडायवर्सिटी कमिटी (BMC) के चेयरमैन राजेश मल्ल ने कहा, ‘हम सभी ने यह तय किया कि खनन रुकना ही चाहिए। नदी के पास स्थित जंगल नष्ट हो रहे हैं। हमारी खेती की जमीने भी नष्ट हो रही हैं। हमने रात में गश्त करना शुरू किया और ऐक्ट के अधिनियमों को लागू करने की धमकी दी, जिससे वे जेल में जा सकते हैं।’ वन संरक्षण से जहां ग्रामीणों पर भले ही कुछ प्रतिबंध लग गए हों, लेकिन इस ऐक्ट से आर्थिक लाभ मिला है। इस ऐक्ट से लाभ लेने वाला दुधई अब शायद देश का पहला गांव बन गया। बीएमसी ने हाल ही में उत्तराखंड फॉरेस्ट कॉर्पोरेशन से पेड़ों की लकड़ी बेचने से हासिल लाभ को बांटने को कहा था। मल्ल ने कहा कि ऐक्ट के अनुसार इसमें से 3 से 5 फीसदी तक का लाभ का दावा कर सकते हैं।
रुक गया अवैध खनन
उत्तराखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने 600 इंडस्ट्रीज़ को नोटिस जारी कर एक करोड़ से भी अधिक का राजस्व जुटा चुकी है। इसमें से उसने एक लाख दुधई नेशनल पार्क से साझा किया है। बोर्ड अधिकारियों ने बताया कि बाकी हिस्सा राज्य में अन्य बीएमसी से साझा किया जाएगा। दुधई मॉडल को फॉलो करने पर आने वाले वर्षों में और भी पैसे इकट्ठा होगा। बीएमसी के सदस्य और वन्यकर्मी इसम सिंह पाल ने कहा, ‘यह ऐक्ट इस बात को स्पष्ट करता है कि जैविक संसाधनों को बिना बीएमसी की इजाजत के इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसमें 3 साल तक की जेल हो सकती है। हमने बीएमसी की बैठक में खनन करने वालों को बुलाया जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्य भी मौजूद थे।’ रात में पेट्रोलिंग का असर शुरू हुआ और कई महीनों के बाद स्वर्ण नदी पर अवैध खनन रुक गया।

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